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________________ कुल RISTRY जीव विचार प्रश्नोत्तरी NIGRASSETTE 215) विकलेन्द्रिय जीवों के कितनी योनियाँ होती हैं ? उ. 1) द्वीन्द्रिय की - दो लाख 2) त्रीन्द्रिय की - दो लाख 3) चतुरिन्द्रिय की - दो लाख - छह लाख 216) विकलेन्द्रिय जीवों के छह भेदो में से पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता के कितने- 2 भेद होते हैं? उ. पर्याप्ता के तीन और अपर्याप्ता के तीन भेद होते हैं। 217) विकलेन्द्रिय जीवों के छह भेदों में से सूक्ष्म-बादर के कितने-कितने भेद होते हैं? उ. विकलेन्द्रिय सूक्ष्म नहीं होने से छहों भेद बादर ही होते हैं। 218) विकलेन्द्रिय के छह भेदों में से कितने भेद गर्भज-संमूर्छिम और संज्ञी असंज्ञी होते हैं? . . उ. विकलेन्द्रिय के छहों भेद संमूर्छिम होने से असंज्ञी ही होते हैं। वे गर्भज और संज्ञी नहीं होते हैं। 219) विकलेन्द्रिय जीवों में कौनसे गुणस्थान होते हैं ? उ. दो गुणस्थानक-१) मिथ्यादृष्टि 2) सास्वादन / 220) विकलेन्द्रिय जीव मरकर किस- 2 में उत्पन्न हो सकते हैं एवं उनमें कौन-२ से जीव उत्पन्न हो सकते हैं ? (गति-आगति) उ. विकलेन्द्रिय 101 संमूर्छिम मनुष्य, 48 तिर्यंच, 30 कर्मभूमिज गर्भज पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता, इन 179 भेदों में विकलेन्द्रिय उत्पन्न हो सकते हैं और विकलेन्द्रिय में ये जीव उत्पन्न हो सकते हैं। 221) विकलेन्द्रिय जीवों को दो-दो लाख योनियाँ किस प्रकार होती हैं ? उ. विश्व में द्वीन्द्रिय जीवों के सौ, त्रीन्द्रिय जीवों के सौ, चतुरिन्द्रिय जीवों के सौ प्रकार हैं। उन्हें दो हजार उत्पत्ति स्थानों से गुणित करने से कुल 6 लाख योनियाँ होती हैं / दो
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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