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________________ ARRER जीव विचार प्रश्नोत्तरी NRITIES उन्हें सफलता मिलती है। 2) पूज्य पुरूषों ने हमेशा से ग्रंथ के प्रारंभ में मंगलाचरण किया है, उस शिष्ट प्रवृत्ति का अनुकरण करते हुए मंगलाचरण किया गया है। 9) प्रस्तुत प्रकरण किस विषय से अभिप्रेरित है ? उ. जीव विचार प्रकरण में जीव तत्त्व के भेदों-उपभेदों का वर्णन किया गया है। 10) प्रकरण का संबंध किससे है ? उ. ग्रंथकार कहते हैं कि यह प्रकरण मैं अपनी कल्पना के आधार पर नहीं लिख रहा हूँ। जैसा सुधर्मा स्वामी ने परमात्मा महावीर से सुना, जम्बू स्वामी ने सुधर्मा स्वामी से सुना। वहीं तत्त्व श्रुति-लेखन परंपरा के द्वारा क्रमशः आचार्य परम्परा में आया। उसी आधार पर मैं जीव तत्त्व का विवरण लिख रहा हूँ। इस प्रकार ग्रन्थ की मौलिक आत्मा परमात्मा महावीर में ही समायी हुई है। 11) प्रकरण की रचना का उद्देश्य क्या है ? उ. जो जीव तत्त्व को जानने की रूचि रखते हैं, उन्हें ज्ञान कराने के लिये इस प्रकरण की रचना गयी है। 12) जीव तत्त्व को जानने से क्या लाभ है ? / उ. जीव तत्त्व को जाने बिना जीव-अजीव का ज्ञान नहीं हो सकता और ज्ञान के बिना संयम-अहिंसा का परिपालन नहीं हो सकता / अहिंसा पालन के बिना आत्मा का मोक्ष नहीं हो सकता। जब जीव जीव तत्त्व को जान लेता है, वह उनके प्रति स्नेहकरूणा भरा व्यवहार करता है और अहिंसा का पालन कर अजर-अमर एवं सिद्धावस्था को उपलब्ध हो जाता है। 13) जीव विचार प्रकरण को पढने के अधिकारी कौन हैं ? उ. वे जीव, जो जीव तत्त्व से अनजान हैं पर जीव तत्त्व को जानना चाहते हैं, उसके प्रति श्रद्धा का भाव है, वे जीव विचार प्रकरण को पढने के अधिकारी हैं। 14) जीव किसे कहते है ? उ. जिसमें चेतना विद्यमान है, जो प्राणों को धारण करता है, जिसमें ज्ञान-दर्शन-वीर्य
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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