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________________ परिशिष्ट 2 : कथाएं मंत्री का नाम बुद्धिसागर तथा रानी का नाम मदनसुंदरी था। मंत्री राजा के प्रति वफादार था। एक दिन रानी ने स्वप्न देखा कि सिंह उसके पैर चाट रहा है और वह उसके सिर पर स्नेह से हाथ फेर रही है। राजा ने ज्योतिषी से स्वप्न का फल पूछा। ज्योतिषी ने कहा कि आपके सर्वगुण सम्पन्न एक पुत्र होगा। वह पराक्रमी अहिंसक और दयालु होगा। पुत्र उत्पन्न होने पर राजा ने उसका नाम भीमकुमार रखा। उसी समय मंत्री के भी पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम मतिसागर रखा गया। राजकुमार और अमात्यपुत्र में घनिष्ठ मैत्री थी। एक दिन राजा को एक राजपुरुष ने आकर सूचना दी कि नगर के चम्पक उद्यान में देवचन्द्र मुनि का आगमन हुआ है। राजा ने इस सूचना को सुनकर प्रसन्नता से मुकुट को छोड़कर सारे आभूषण सूचना दाता को दे दिए। राजा सपरिवार प्रवचन सुनने गया। राजा ने मुनि को निवेदन किया"पांच महाव्रत मेरे लिए कठिन हैं अत: मुझे बारह व्रत का संकल्प करवाएं। मुनि ने भीमकुमार को प्रेरणा दी कि जीवन में किसी को कष्ट मत देना। . अहिंसक बने रहना तथा शिकार मत खेलना।" एक दिन भीमकुमार महल में बैठा था। एक कापालिक उसके पास आकर बोला-'मैं भुवनशोभिनी विद्या सिद्ध करना चाहता हूं, उसे सिद्ध करने के लिए मुझे आपका दस दिन का सहयोग चाहिए। राजकुमार ने उसे सहयोग की स्वीकृति दे दी। .. मंत्री को जब यह बात ज्ञात हुई तो उसने राजकुमार से कहा "यह कापालिक दुष्ट है, आपको उसका सहयोग नहीं करना चाहिए।" भीमकुमार ने कहा-“मैं वचन-प्रतिबद्ध हूं अत: मुझे उसके साथ जाना ही होगा।" कृष्णा चतुर्दशी को कापालिक राजकुमार भीम को अपने साथ ले गया। वहां जाकर उसने भीमकुमार को वीरवेश धारण करवाया और मंत्रोच्चार के पश्चात् वह भीमकुमार की चोटी बांधने लगा। भीम ने पूछा-'तुम मेरी - चोटी क्यों बांध रहे हो?' उसने कहा-"मैं तुम्हारी बलि देना चाहता हूं।"
SR No.004272
Book TitleAgam Athuttari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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