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________________ गाथा सं. पृष्ठ सं. गाथा सं. पृष्ठ सं. दव्वसुयमसाहारण. 254 | परिनिव्वुयमुणिदेहं | दव्वसुर्य बुद्धीओ 179 | पव्वज्जा सिक्खावय दव्वसुयं भावसुयं | पावंति सद्दगन्धा दव्वसुयं मइपुव्वं पिंडों कजं पइसमय. दव्वं भावमणो वा पिंडो कारणमिटुं दव्वं माणं पूरियमिन्दिय पुव्वं सुयपरिकम्मिय. दीसंति कासइ फुडं | पूरिज्जइ पाविजइ देहप्फुरणं सहसोइयं पोग्गलमोयगदन्ते देहादणिग्गयस्स वि बहुविग्घाई सेयाई धूमो व्व संहरणओ | बुद्धिद्दिढे अत्थे नज्जइ उवघाओ से | भणओ सुणओ व सुयं नणु साऽवायब्भहिया | भव्वस्स मोक्खमग्गा. नणु सिमिणाओऽवि कोई | भावत्थंतरभू न परप्पबोहयाई | भावसुयं तेण मई न पराणुमयं वत्थु भावसुयं भासासोयलद्धि. नयणमणोवज्जिन्दिय भावसुयाभावाओ न य भावो भावंतर. भावस्स कारणं जह न विसेसत्थंतरभूया. | भासापरिणइकाले न सिमिणाविण्णाणओ भेयकयं च विसेसण नाणकिरियाहिं मोक्खो | मइकाले वि जइ सुयं नाणाणण्णाणि य | मइपुव्वं जेण सुयं . नाणुग्गहोवघाया मइपुव्वं सुयमुत्तं न नातीतमणुप्पन्न मइसहियं भावसुयं नामाइतियं दव्वट्ठियस्स मइसुयनाणविसेसो नामाइभेअसद्दत्थ. महुराइगुणत्तणओ नीऊं आगसिउं वा मंगलकरणा सत्थं नेयाइ च्चिय जं सो मंगलतियंतरालं पज्जवणं पज्जयणं मंगलपयत्थजाणय. पजायाऽणभिधेयं मंगलमहवा नन्दी पत्ताइगयं सुयकारणं 196 मंगलसुयउवउत्तो पनवणिज्जा भावा 216 मंगालयइ भवाओ a 446 -------- विशेषावश्यक भाष्य ----------
SR No.004270
Book TitleVisheshavashyak Bhashya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Damodar Shastri
PublisherMuni Mayaram Samodhi Prakashan
Publication Year2009
Total Pages520
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size11 MB
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