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________________ * श्री बृहत्संग्रहणीरत्न-हिन्दी भाषांतर * लिखा होता है / जब कि किन्हीं शास्त्रकारों का ऐसा कथन है कि- उन कल्पग्रंथों में बताए सर्व पदार्थ ही दिव्य प्रभावसे उस प्रत्येक निधानमें से [ अथवा निधिनायक द्वारा ] साक्षात् प्राप्त होता है / इन नवनिधानोंमें से किस निधान में क्या वस्तुएँ ( अथवा जो विधियाँ बताई हों) होती हैं, इसका संक्षिप्त में नाम के साथ वर्णन किया जाता है। 1. नैसर्प निधिः- ईस निधि के कल्पों में खान-ग्राम-नगर-पत्तन, निवेशन, मडंवक, द्रोणमुख, छावनी, हाट-गृहादि स्थापन का समग्र विधिविषय जो अब वर्तमान वस्तुशास्त्र में भी दीखते हैं उस विषयक विषयो [ पुस्तक वा साक्षात् वस्तु ]. इस प्रथम निधिसे प्राप्त होता है अथवा उन उन स्थानों का निर्माण होता है। . 2. पांडुकनिधिः-इस निधि के कल्पों में सुवर्णमुद्राएँ आदि की गिनती, धनधान्य आदि का प्रमाण, उसे उत्पन्न करने की पद्धति, रुई, गुड, चीनी आदि सर्व का मान, उन्मान करने की सर्व व्यवस्था होती है / धन-धान्य की उत्पत्ति, बीजोत्पत्ति तथा हरेक प्रकार का गणित भी इस निधिसे हो सकता है। 3. पिंगलनिधिः- इस निधि के कल्पों में पुरुषों तथा स्त्रियों के तथा हाथी, घोडे आदि के गहने-आभूषणो इत्यादि आभरण बनाने विषयक सारी व्यवस्था इस तृतीय निधान के आधीन है / 4. सर्वरत्ननिधिः- चक्रवर्ती के सात एकेन्द्रिय रत्नो तथा सात पंचेन्द्रिय रत्नो ये सर्व इस निधि के प्रभावसे उत्पन्न होते हैं / इस निधान के प्रभावसे चौदह रत्न बहुत कान्तिमय होते हैं ऐसा कुछ लोग कहते हैं / / 5. महापानिधिः-सर्व प्रकार के वस्त्र आदि की उत्पत्ति, रंगने-धोनेकी व्यवस्था का ज्ञान इस निधि के द्वारा होता है / 6. कालनिधिः--अतीत, अनागत और वर्तमान विषयक सकल ज्योतिषशास्त्र विषयक काल ज्ञान, कृषि बनिजादि कर्म तथा कुंभकार, लोहार, चित्रकार, बुनकर, नापित इत्यादि मूलभेद 20 और उत्तरभेदवाले सौ प्रकार के शिल्पो, साथ ही जगत के तीर्थकरचक्री–बलदेव-वासुदेव के वंशों का शुभाशुभपन इस कालसंज्ञक निधि द्वारा होता है / ___399. हैमकोष में तो लोकप्रचलित इस प्रकार नवनिघि दर्शाये हैं / हिन्दु धर्मशास्त्र में भी इसी प्रकार बताए हैं / महापद्मश्च पद्मश्च मकरकच्छपौ। मुकुन्दकुन्दनीलाश्च, चर्चाश्च निधयो नव // [ का. र. श्लो. 107 ]
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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