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________________ * शेष पृथ्वीका प्रत्येक प्रतर पर देहमान 2 // हाथ और छठी नरक में वृद्धिरूप अंक 62 // धनुष / इस प्रकार मध्यकी पाँ) नरक पृथ्वियों में भी इसी वृद्धि अंक के समान ही वृद्धि करें / [ 247-248 ] विशेषार्थ—प्रथम रत्नप्रभा में देहमान तो पूर्व की गाथाओं में बता दिया है, अब 246 वीं गाथाके अर्थानुसार ऊपरि रत्नप्रभाके अंतिम प्रतर पर उत्कृष्ट देहमान 7 धनुष, 3 हाथ और 6 अंगुल होता है जो नीचेकी दूसरी शर्कराप्रभा के प्रथम प्रतर पर होता हैं / २–उसके बाद उसी नरकके द्वितीयादि प्रतरों में जानने के लिए प्रथम उसके अंगुल कर दें / चार हाथ का एक धनुष होने से सात धनुष के 28 हाथ बनते हैं। अब उन में तीन हाथ ओर मिलानेसे 31 हाथ-छः अंगुल हुए / अब फिर से उन्हीं 31 हाथों के अंगुल बना लें [ 24 अंगुल का एक हाथ होने से ] चौबीस से गुनने पर 744 अंगुल आये; जिनमें शेष 6 अंगुल मिलाने से कुल 750 अंगुल देहमान आया / उसी देहमान को शर्कराप्रभा के 11 प्रतर होने से गाथार्थ अनुसार एक न्यून (कम) करके भागना होने से, 10 प्रतर से भागने से 75 अंगुल प्रत्येक प्रतर वृद्धि करने के लिए हरेक के हिस्से में आता है / अर्थात् 75 अंगुल के हाथ करने पर तीन हाथ और तीन अंगुल का वृद्धि अंक आता है। अब इसे प्रारंभ के अथवा पूर्वके देहमान में मिलाने से 8 धनुष 2 हाथ और 9 अंगुल का देहमान शर्कराप्रभा के द्वितीय प्रतर पर आता है / पुनः उसी वृद्धि अंक को उस में मिलाने से तीसरे प्रतर पर 9 धनुष 1 हाथ 12 अंगुल, चौथे पर 10 धनुष 15 अंगुल, पाँचवे पर 10 धनुष 3 हाथ 18 अंगुल, छठे पर 11 धनुष 2 हाथ 21 अंगुल, सातवें पर 12 धनुष 2 हाथ, आठवें पर 13 धनुष 1 हाथ 3 अंगुल, नौवें पर 14 धनुष 6 अंगुल, दसवें पर 14 धनुष 3 हाथ 9 अंगुल और ग्यारहवें पर 15 धनुष 2 हाथ और 12 अंगुल का उत्कृष्ट देहमान आकर रहता है। . ३-अब शर्कराप्रमा के अंतिम प्रतर का 15 धनुष 2 हाथ और 12 अंगुल का मान तीसरी वालुकाप्रभा के प्रथम प्रतर पर मिलता है / दूसरे प्रतर के लिए उसी मान के रत्नप्रभा की तरह अंगुल कर के एक न्यून आठ प्रतर से भागने से गाथार्थ अनुसार सर्व प्रतर के लिए '7 हाथ और 19 // अंगुल का वृद्धि अंक ' आता है / इस अंक को प्रथम प्रतर के उक्त मान में मिलाने से तीसरे नरक के दूसरे प्रतर पर
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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