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________________ बासठ इन्द्रक विमानोंके नाम ] गाथा 129-135 [ 305 अब चारों ओर पंक्तिगत रहे हुए विमानके नाम जणाते हैं, उनमें 'करण'की परिभाषा करके उदाहरणके साथ बताते हैं / जिस देवलोकमें इन्द्रक विमानका जो नाम है, उस नामके साथ 'प्रभ' शब्द जोड़कर उसे देवलोकमें पूर्व दिशासे शुरु होती पंक्तिके प्रथम विमानका नाम समझ ले / दूसरे विमानसे लेकर तो आगे कहे जानेवाले मात्र 61 नाम अन्तिम भाग तक कहने है। पश्चिम दिशागत 62 पंक्तिके प्रथम विमानके नाम जाननेके लिए उन देवलोकके इन्द्रक विमानोंके नामोंके साथ 'शिष्ट' शब्द जोडे, जिससे उस उस देवलोकके प्रारम्भके विमानोंका नाम समझ सके; अर्थात् इस पंक्तिके दूसरे (द्वितीय) विमानसे आगे कहे गये 61 नामोंके साथ क्रमशः ‘शिष्ट' शब्द लगाकर 62 वे विमान तक पहुंचे। ___दक्षिण दिशाकी पंक्तियों के प्रथम त्रिकोण (त्रिमुख ) विमानोंके नाम जाननेके लिए उस उस देवलोकके इन्द्रक विमानोंके नामोंके साथ 'मध्य' शब्द जोड़े। दूसरे विमानसे लेकर 62 तक नीचे कहे गये नामोंके साथ 'मध्य' शब्दका प्रयोग करे। उत्तर दिशाकी पंक्तियों के पहले त्रिकोण विमानोंके नाम जाननेके लिए उस उस देवलोकके विमानोंके साथ 'आवर्त' शब्द प्रयोजे / दूसरे (द्वितीय ) से लेकर अन्तिम पंक्तिके अन्त तक नीचे कहे जानेवाले (बताए गए) 61 नामोंके साथ अनुक्रमसे 'आवर्त' शब्द लगाएँ। .. दूसरेसे लेकर ६२वें तक बताए गए विमानोंके नाम इस प्रकार हैं / २-स्वस्तिक, ३-श्रीवत्सक, ४-वर्द्धमानक, ५-अंकुश, ६-झष, ७-यव, ८-छत्र, ९-विमल, 10- कलश, ११-वृषभ, १२-सिंह, १३-सम, १४-सुरभि, ५५-यशोधर, १६-सर्वतोभद्र, १७-विमल, १८-सौवत्सिक, १९-सुभद्र, २०-अरज, २५-विरज, २२-सुप्रभ, २३.-इन्द्र. २४-महेन्द्र, २५-उपेन्द्र, २६-कमल, २७-कुमुद, २८-नलिन, २९-उत्पल, ३०-पद्म, ३१-पुण्डरीक, ३२-सौगन्धिक, ३३-तिगिच्छ, ३४-केशर, ३५-चम्पक, ३६-अशोक, ३७-सोम, ३८-शूर, ३९-शुक्र, ४०-नक्षत्र, ४१-चन्दन, ४२-शशी, ४३-मलय, ४४-नन्दन, ४५-सौमनस, ४६-सार, ४७-समुद्र, ४८-शिव, ४९-धर्म, ५०-वैश्रमण, ५१-अंबर, ५२-कनक, ५३-लोहिताक्ष, ५४-नन्दीश्वर, ५५-अमोघ, ५६-जलकान्त, ५७-सूर्यकान्त, ५८-अव्याबाध, ५९-दोगुन्दक, ६०-सिद्धार्थ, ६१-कुण्डल, 62 -सोम / इस प्रकार प्रथम सौधर्म देवलोकका चरितार्थपन कर दिखाया / . प्रथम इन्द्रक विमानका नाम (सौधर्मके प्रथम प्रतरमें ) 'उडु' है। उस विमानकी पूर्व दिशाकी पंक्तिके प्रथम विमानका नाम 'उडुप्रभ,' दूसरेका स्वस्तिक, तीसरेका श्रीवत्सक बृ. सं. 39
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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