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________________ ग्रह, नक्षत्र और ताराओंका संख्यायन्त्र ] . गाथा-९१ / 269 नक्षत्र तथा 4822200 कोडाकोडी [4822200000000000000000000] उतना तारोंका परिवार है। इस तरह सर्वद्वीप-समुद्रवर्ती ज्योतिषीकी संख्या लानेके लिए करण बताये / इस प्रकार मनुष्यक्षेत्रमें कुल २६४सूर्यकी संख्या १३२की, चन्द्रकी संख्या १३२की, ग्रहकी 11616, नक्षत्रकी 3696 और 88407000,0000000000000 इतनी तारोंकी कुल संख्या है और ये २६५तारे कलम्बपुष्पवत् अधः स्थानमें संकीर्ण और ऊर्ध्वस्थानमें विस्तीर्ण होते हैं / तथा तारोंकी चर और स्थिर ज्योतिषी संख्या मिलकर भी संख्या 26 असंख्याता ही है, क्योंकि ज्योतिषी देव असंख्याता हैं / // मनुष्यक्षेत्रमें ग्रह-नक्षत्र-तारा संख्या यन्त्रक // | ग्रह / नक्षत्र द्वीप-समुद्र नाम चन्द्र संख्या परिवार | परिवार तारा परिवार जम्बूदीपके | 2 चन्द्रका परिवार 176 लवण समुद्रके / 4 चन्द्रका परिवार 352 112 धातकी खण्डके 336 कालोदधि समुद्रके | 42 , , , 3696 | 1176 पुष्कराध द्वीपके |72 ,, ,, / 6336 | 2016 13395 कोडाकोडी 267900 |803700 2812950 . 4822200 , यहाँ जो ग्रह-नक्षत्र बताये उनके नाम कहते हैं / 26 नक्षत्रों के नाम-अभिजित् , श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषक्, पूर्वभाद्रपदा, उत्तराभाद्र 264.. बत्तीसं चंदसतं बत्तीसं चेव सूरियाण सतं / सयलं माणुसलोए चरंति एते पभासंता // एक्कारसयसहस्सा छस्सिय सोला महग्गहाणं तु / छच्चसता छण्णउया णक्खत्ता तिण्णिय सहस्सा // अट्ठासीइं चत्ताई सतसहस्साई मणुयलोगंमि / सत्त य सता अणूणा तारागणकोडिकोडीणं // 265. एवतियं तारगं जं भणियं माणुसंमि लोगम्मि / चारं कलंबुयापुप्फसंठित्तं जोतिसं चरति // 266. एसो तारापिंडो सव्वसमासेण मणुयलोयम्मि / बहिता पुण ताराओ जिणेहिं भणिया असंखेड़जाओ // [ सू० प्रज्ञ० प्राभृत ] 267. अभिई सवण धणिठा सयभिसया दोय हुंति भद्दवया / रेवई अस्सिणि भरणि य कत्तिया रोहीणि चेव // मिगसर अद्दाय पुणव्वसू य पुसो य तहऽसिलेसाय / मघ पुव्वफग्गुणी उत्तराहत्थो य चित्ताय // . साई बिसाहा अणुराह चेव जेठा तहेव मूलो य / पुवुत्तरा असाढा य जाण न खत्तनामाणि // .
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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