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________________ . तथ्य का वर्णन नहीं करते बल्कि इनका उच्चारण करने वाला इन वाक्यों द्वारा संबंधित क्रियाएँ भी करता है। उदाहरण के लिए, जब मैं कहता हूँ, 'मैं वादा करता हूँ' तब मैं इस वाक्य द्वारा वादा करने की क्रिया करता हूँ। ऐसा नहीं है कि मैंने वादा कर लिया है और इस वाक्य द्वारा केवल इसकी सूचना दे रहा हूँ। आस्टिन उपर्युक्त सन्दर्भ में से ऐसे वाक्यों को पर्पोमेटिव अटरेंस कहता है। इन वाक्यों की तुलना वह सूचनात्मक वाक्यों से करता है, जिन्हें वह कोंस्ट्रेटिव कहता है। पर्पोमेटिव की तरह कोंस्ट्रेटिव भी अनुपयुक्त या अप्रीतिकर हो सकते हैं। जैसे किसी वस्तुस्थिति का कथन करना गलत है कि कोंस्ट्रेटिव सत्य या असत्य है, फांस भुजाकार है, फांस का मोटे तौर पर वर्णन है, सत्य या असत्य अथवा नहीं। इन बातों के आधार पर आस्टिन ने पोमेटिव का अन्तर त्याग दिया। इसके स्थान पर उसने इल्लोक्युशनरी शक्तियों का सिद्धान्त प्रतिपादन किया। पूर्ण अर्थ में कुछ भी कहने के कई पहलू हैं। आस्टिन इस रूप में स्पीच एक्ट को तीन वर्गों में विभाजित करते हैं 1. लोक्युशनरी एक्ट, 2. इल्योक्युशनरी एक्ट, 3. पलोक्युशनरी एक्ट। "कुछ कहने का कार्य इस पूर्ण अर्थ में लोक्युशनरी एक्ट करना है।168 इस प्रकार लोक्युशनरी एक्ट का अर्थ है-पूर्ण अर्थ में कुछ भी कहने का कार्य, कोई भी सार्थक कथन करना लोक्युशनरी एक्ट करना है। उनके तीन पहलू हैं-1. फोनेटिक एक्ट, 2. फैटिक एक्ट, 3. रहेंटिक एक्ट।"169 फोनेटिक एक्ट अर्थात् ध्वनियों का उच्चारण। फैटिक एक्ट अर्थात् किसी भाषा के शब्द एवं व्याकरण के अनुसार ध्वनियों का उच्चारण एवं रहेंटिक एक्ट अर्थात् अर्थ एवं निर्देशपूर्ण ध्वनियों का उच्चारण। कोई भी सार्थक कथन लोक्युशनरी एक्ट है और इसमें तीनों एक्ट विद्यमान हैं। इसके बाद इल्लोक्युशनरी एक्ट और लोक्युशनरी एक्ट द्वारा पलौनयुशनरी एक्ट किया जाता है। 70 आस्टिन इल्लोक्युशनरी एक्ट को पांच उपवर्गों में विभक्त करता है- 1. वर्डिक्टिव (Verdictives)-अभिनिर्णित देने का इल्लोक्युशनरी एक्ट, जैसे मुक्त करना, अपराधी होने का निर्णय देना, मूल्यांकन करना इत्यादि। 2. एक्सरसिटिव (Exerctives)-शक्ति का अधिकार प्रयोग के कार्य, जैसे-किसी को नियुक्ति या वस्तु को नाम देना। 3. कमिसिव (Commissives)-वचनबद्धता के कार्य, जैसे-वादा करना, प्रतिज्ञा करना, शर्त लगाना इत्यादि। 4. बिहेविटिव (Behavitives)-सामाजिक व्यवहार के कार्य, जैसे-क्षमा मांगना, धन्यवाद देना, कोसना और अन्त में 5. एक्सपोजिटिव (Expositives)-विवरणात्मक कार्य, जैसे-कथन करना, उत्तर देना, वर्णन करना, सहमत होना इत्यादि। 463 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004261
Book TitleMahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmrutrasashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2014
Total Pages690
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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