________________ प०भा० पि.मा. // 14 // PaNVIDAVAAVaaaaaamwwwpawaavanaane खीर-द्ध | गुह-गोल | महिसी-भेंसन पण-पांच घय-घृत पकन-पकवान उंटि-उंटडीनुं दहि-दधि छ-छ अय-छालीन अह-वे अ-वली भरुखविगइओ-भक्ष्य विगइ एलगाण-गाडरीनुं चउरो-चार जातनुं तिलं-तैल गो-गायनुं | खीर घय दहि अ तिलं, गुड पक्कन्न छ भख्ख विगइओ॥ गो महिसी उंटि अय ए-लगाणपण दुद्ध अह चउरो॥३०॥ शब्दार्थ-दुध, घी, दहि, तेल, गोल अने पकान. ए छ भक्ष्य विगइ छे. तेमां गाय, भैसनु, उंटडीनु, बकरीनु || अने घेटीनुं ए पांच जातनुं दूध विगइ छे. हवे चार जातवें घी विगेरे कहे छे. // 30 // _ विस्तारार्थः-प्रथम ब लक्ष्य विगयनां नाम कहे . एक उध, बीजो घृत, त्रीजो दधि, वली || चोथो तेल, पांचमो गोल, हो पक्वान्न, ए ब नदयविगय जाणवी. एटले ए ब विगइ जे ले, ते MameramanuMAINEmaavanmastAwarendrana/ AR // 14 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org