________________ इरि नमुकार नमुत्थुण, अरिहंत थुई लोग सव्व थुइ॥ पुख्ख थुइ सिद्धा वेआथुइ, नमुत्थ जावंतिथय जयवी॥ 62 // G/ARO/ARO/AMAND Yaadiao/6/area/Novesyoup/ शब्दार्थ-इरियावहि, नवकार, नमुत्थुगं, अरिहंत चेइयाणं, कही एक स्तुति कहेवी. पछी लोगस्स, सबलोए कही स्तुति कहेवी. पछी पुख्खरसर अने स्तुति कहवी पडी सि दागं बुद्धागं, वेयावच्चगराणं अने सुति कहेवी. पछी नमुत्थुणं, जाति चेइयाई अने स्तुति कहाने छेवट जयवीयराय पूर्ण कडेवा. / / 62 / / विस्तारार्थः-प्रथम इरियावहि संपूर्ण पमिकमि पनी चैत्यवंदननो श्रादेश मागी नमस्कार कही पली नमुन्नणं कहे. पनी उन्नो थर अरिहंत चेश्याएं कही कानस्सग्ग करी एक तीर्थकरनी स्तुति कहे. पली लोगस्स कहीयें पड़ी सबलोए अरिहंत चेश्याएं कही कानस्सग्ग करी सर्व तीर्थकरनी बीजी स्तुति कहियें, पडी पुरकरवरदी कही कामस्सग्ग करी श्री सिद्धांतनी त्रीजी स्तुति कहेवी परी सिद्धाएं बुद्धाएं बेयावच्चगराणं इत्यादिक कही काजस्सग्ग करी अधिष्ठायिक | देवोनी चोथी स्तुति कही पड़ी नीचें बेसीने नमुन्नणं संपूर्ण कहीने जावंति चेश्याजावंत केवि VAauVARUPAANDMANTDADAWARAGe/a VIANS/DGANESS / Inn Education international For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org