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________________ ङ) खण्ड काव्य १. पुष्पदन्त कृत णायकुमार चरिउ, जसहर चरिउ, २. वीर कवि कृत जंबुसामि चरिउ, ३. नयनन्दी कृत सुदंसण चरिउ, सकलविधिनिधान काव्य, ४. अभयगणि कृत सुभद्र चरित, ५. अभयदेव सूरि कृत महावीर चरित, ६. कुमुदचन्द्र मुनि कृत नेमिनाथ रास, ७. उदयकीर्ति कृत सुगन्ध दशमी कथा, ८. जयसागर कृत वज्रस्वामी रास. ९. रइधू कृत आत्मसंबोधन काव्य, १०. जिनप्रभ कृत मल्लिनाथ चरित, ११. जयमित्र हल कृत मल्लिनाथ काव्य, १२. विद्यापति कृत कीर्तिकला, १३. कनकामर (११वीं शती) कृत करकण्डु चरिउ, १४. धाहिल कृत पउमसिरि चरिउ, १५. पद्मकीर्ति कृत पासचरिउ। १६. श्रीधर कृत भविसयत्त चरिउ, १७. देवसेन गणि कृत सुलोचना चरिउ, १८. हरिभद्र कृत सनत्कुमार चरिउ, १९. लाखू (या) लक्खण कृत जिणदत्त चरित, २०. धनपाल (पल्हणपुरी) कृत बाहुबलि चरित, २१. भगवती, दास (वि. स. १७००) कृत मृगांकलेखा चरित्र। इनके अतिरिक्त योगीन्दु देव का परमप्पयासु (परमात्मप्रकाश) एवं योगसार तथा अन्य अनेक विद्वानों द्वारा अपभ्रंश में प्रणीत अध्यात्म परक उत्कृष्ट ग्रन्थ उपलब्ध हैं। अपभ्रंश दोहों के उदाहरण उब्भियबाह असारउ सव्वुवि, म भमि कु-तिथिअ-पढें मुहिआ। ... परिहरि तृणु जिम्ब सब्बु वि भव-सुहु, पुत्ता तुह मइ एउ कहिआ॥. - हे पुत्र ! मैंने अपनी भुजायें ऊपर उठाकर तुझसे कहा है कि सब कुछ असार है, तू व्यर्थ ही कुतीर्थों (मिथ्यादृष्टियों) के पीछे मत फिर, समस्त संसार के सुख को तृण के समान त्याग दे। ... महाकवि कालीदास के विक्रमोर्वशीयम् में अपभ्रंश भाषा में यह सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है - १०९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004257
Book TitlePrakrit Bhasha Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPhoolchand Jain Premi
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year2013
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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