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________________ प्रकाशन अर्थ सहयोगी स्मृतिशेष सुश्रावक स्व श्री तोलाराम जी हीरावत धर्मपरायण, शिक्षाप्रेमी श्री रतनलाल जी हीरावत बिरले व्यक्ति ही ऐसे होते हैं जो अपनी वाणी में माधुर्यता, व्यवहार में शालीनता, हदय में अजस्र करूणा आदि मानवीय गुणों के कारण अपने घर-परिवार एवं समाज में ही नहीं वरन् अन्य जाने-अनजाने लोगों पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं। ऐसा ही निर्मल और प्रभावकारी व्यक्तित्व था धर्मनिष्ठ, प्रतिष्ठित सुश्रावक स्व. श्री तोलाराम जी हीरावत का। देशनोक संघ के पूर्व अध्यक्ष स्व. श्री तोलाराम जी हीरावत का 65 वर्ष की आयु में उदयरामसर में आकस्मिक निधन हो गया। आचार्य श्री नानेश के उदयरामसर चातुर्मास पर आप श्री भी आचार्य श्री जी की सेवा में उदयरामसर विराजमान थे। धर्म स्नेह, संघ निष्ठता, समर्पित समाज सेवा समन्वित आपका जीवन सरलता, सौहार्द्र एवं मिलनसारिता का आदर्श प्रतीक रहा है। आप आचार्य श्री नानेश के अनन्य भक्त थे एवं आचार्य श्री के सानिध्य में वर्षों से चार्तुमास काल में सपत्नीक रहकर प्रवचन श्रवण का लाभ लेते थे। आपका व्यवसाय क्षेत्र दिल्ली रहा, जहाँ आपके दो होनहार सुपुत्र श्री जीतमल जी हीरावत एवं श्री रतनलाल जी हीरावत व्यवसाय क्षेत्र में निरन्तर प्रगति कर रहे हैं। स्व श्री तोलाराम जी हीरावत के अग्रज श्री लुणकरण जी हीरावत भी समाज के अग्रणी एवं प्रमुख सुश्रावक हैं। आपके प्रेम-स्नेह एवं ममतामय व्यवहार से समूचा हीरावत परिवार अनुशासित एवं एक डोर में बंधा हुआ है। आपने स्व. श्री मेघराज जी हीरावत (आपके पिताश्री) स्वधर्मी निधि में 51 हजार रू. तथा 1 लाख 11 हजार रूपये दीक्षार्थी भाईयों के उपकरण बाबत् धर्मार्थ प्रदान किये हैं। इसके अलावा सामाजिक-धार्मिक कार्यों में आपका परिवार मुक्त हस्त से सदैव दान करता रहा है। देशनोक संघ के पूर्व अध्यक्ष स्व श्री तोलाराम जी हीरावत पुण्यस्मृति में इस पुस्तक का प्रकाशन आपके सुपुत्र धर्मपरायण, शिक्षाप्रेमी श्री रतनलाल जी हीरावत के उदार सहयोग से किया गया है, इसके लिये हम आपके बहुत आभारी हैं। सरदारमल कांकरिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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