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________________ 252 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा उपन्यासों में "खलीफा हारून-उ-रसीद के राज्यत्व में" इसी प्रकार 'अतीतकाल में जब विक्रमादित्य राज्य करते थे' या "LONG LONG AGO" जैसा आमुख प्राप्त होता है। इसी आदर्श वाक्य की परम्परा का निर्वाह करते हुए जैन आगमों और अन्य जैन साहित्य की शुरूआत "तेणं कालेणं तेणं समयेण ..नयरे अज्ज सुहम्मस्स समोसरणं। परिसा निग्गया जाव या तेणं कालेणं तेणं समयेण....नगरी होत्था। वण्णओ।...राया।" इस प्रकार में की गयी है। प्रसंगानुसार प्रसिद्ध नगरों या किसी आदर्श राजा का नाम लिया गया है। जीतशत्रु नाम भी इसी प्रकार का है। . . ___ अनुत्तरोपपातिकसूत्र में तत्कालीन बहत्तर कलाओं का उल्लेख किया गया है : 1. लेखन 2 गणित 3. रुप 4. नाटक 5. गायन 6. वाध्य 7 सरगम 8.वाच्य सुधार 9. समताल 10 द्युत 11 जनवाद (वाद-विवाद) 12. पासा 13. चौपड़ खेलना 14. पूराकृत्य 15. दगमृत्तिका 16. अन्नविधि 17. पानविधि 18. वस्त्रविधि 19. विलेपन विधि 20. शयनविधि 21. आर्या (छन्द) 22. पहली 23 मागधिका 24. गाथा 25 गीतिका 26. श्लोक 27. हिरण्ययुक्ति 28. सुवर्णयुक्ति 29. चूर्ण-युक्ति 30. आभरणविधि 31. तरूणीप्रतिक्रम 32. स्त्रीलक्षण 33. पुरूषलक्षण 34. अश्वलक्षण 35 गजलक्षण 36. गोणलक्षण 37. कुक्कुट लक्षण 38. क्षत्र-लक्षण 39. दंडलक्षण 40. असिलक्षण 41 मणिलक्षण 42. कागणिलक्षण 43. वास्तुविद्या 44. खंधारमान 45. नगरमान 46. व्यूह 47 प्रतिव्यूह 48. चार (सैन्य संचालन) 49. प्रतिचार 50. चक्रव्यूह 51 गरूडव्यूह 52. शकट व्यूह 53. युद्ध 54 निर्युद्ध 55. युद्धातियुद्ध 56. अस्थियुद्ध 57. मुष्टियुद्ध 58 बाहुयुद्ध 59. लतायुद्ध 60 इषत्थ 61. छरुप्रवाद 62. धनुर्वेद 63. हिरण्यपाक 64 सुवर्णपाक 65 सूत्रखेट 66. वट्टखेट 67. नालिकाखेट 68. पत्रच्छेदन 69. कड़ाछेदन 70. सजीव 71 निर्जीव 72. सकुनिरुपमित। प्रस्तुत अंग की शैली अन्य आगामों की तरह ही है। इसमें नगर, राजा आदि का वर्णन समान रुप से किया गया है इसलिए इनका वर्णन एक ग्रंथ (औपंपातिक सूत्र) में करके वहाँ का निर्देश जाव शब्द से कर दिया है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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