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________________ प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया : 225 17. (क) सूत्रकृतांग-शीलांकाचार्य वृत्ति, पत्र 336 (ख) स्थानांगसूत्र, अभयदेव वृत्ति प्रारंभ। (ग) दशवैकालिकसूत्रचूर्णि, पृष्ठ- 29 (घ) निशिथभाष्य - 4004 18. (क) वलहिपुराभिनयरे, देवढिडपमुहेण समणसंधेण। पुत्थई आगमु हिको नवसय असीआओ वीराओ। अर्थात् ईस्वी 453, भतान्तर से ई.466 एक प्राचीन गाथा। (ख) कल्पसूत्र - देवेन्द्रमुनि शास्त्री, महावीर अधिकार। 19. "भगणं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाद्वक्खइ। सावि य णं अद्धमागही भासा भासिज्जमाणी तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणंदुप्पय-चडप्पय-मिय-पसु-पार्वख- सरीसिवाणं अप्पणो हिय-सिव सुहयभासत्राए परिणमई।" - समवायांग सूत्र-34,22, 23 20. बालस्मीवृद्धमुर्खाणां नृणां चारित्रकांक्षिणाम् । • अनुग्रहार्थ तच्वज्ञैः सिद्धान्तः प्राकृतः कृतः।। - दशवैकालिक वृत्ति, पृष्ठ - 223 21. प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास-ले डा. नेमिचन्द शास्त्री, पृष्ठ - 175-761 22. · महाभारत - शान्तिपर्व, अ. 48. 23.. श्रीमद्भागवद्गीता। ... 24. महाभारत - अनुशासन पर्व, 147/18-20 25. शतपथब्राह्मण, 13/3/4 26. तैत्तरीयारण्यक, 10/11 _ 27. महाभारत - वनपर्व 16-47, उद्योग पर्व 481 28. छान्दोग्योपनिषद् अ 3 खण्ड 17, 2 श्लोक 6, गीताप्रेस गोरखपुर। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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