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________________ परमात्मा बनने की कला सम्यग् उपायों की सिद्धि स्वरूप फल को कहते हैं इस सूत्र और उसके अर्थ पठन से कर्म के अनुबन्ध आत्मा में भरपूर एकत्रित होते हैं, साथ ही शुभ भाव की बुद्धि से वे अनुबन्ध पुष्ट होते हैं और पराकाष्ठा तक पहुँचते हैं। अहो ! कैसा महिमावंत यह पंचसूत्र ! निश्चय से, अनुबन्ध वाला शुभकर्म इसमें रहे हुए अत्यन्त अनुबन्ध की अपेक्षा से उत्कृष्ट कोटि का होता है। उसी प्रकार कर्म तीव्र 'शुभ' अध्यवसाय में उपार्जित हुआ होगा तो नियम से उत्तम फल को प्रदान करेगा। जैसे एकान्त रूप से किसी कल्याणकारी उत्तम औषधि का सही रीति से विधिपूर्वक प्रयोग किया गया हो तो वह सुन्दर फलस्वरूप आरोग्य-तुष्टिपुष्टि को प्रदान करती है। वैसे ही, शुभ कर्म मनुबन्ध वाला होता है। यह विपाक से नये तेजस्वी शुभ में प्रवृत्ति कराता है और इस प्रकार परम्परा से शुभ उत्कृष्ट कोटि का होकर निर्वाण के परम सुख का साधक बनता है । जैसे अनन्त संसार अशुभानुबन्ध पर होता है, वैसे ही अनन्त मोक्ष शुभानुबन्धी प्रबलता पर उत्पन्न होता है। इसलिए निदान रहित अर्थात् किसी भी प्रकार के अनात्मिक यानि जड़ सम्बन्धी राग, लोभ या ममत्व रखे बिना, अर्थात् इस लोक या परलोक सम्बन्धी पौद्गलिक प्राशंसा, मनोकांक्षा इत्यादि दूर करके, वैसे ही अशुभ अनुबन्धों को रोककर, शुभ भाव पावनाओं को पैदा करने में ये सूत्र बीज समान काम करते हैं, इसीलिए ये असाधारण निमित्त कारण बनते हैं। 1. सुन्दर प्रणिधान से (विशुद्ध भावना, एकाग्रता, तन्मयता और कर्तव्य निश्चय के साथ सुकृत अनुमोदना 2. सम्यक् प्रकार अर्थात् चित्त को प्रशान्त करके इस सूत्र को पढ़ना चिन्तन-मनन करना चाहिए। जिस प्रकार इसका वाचन तथा व्याख्यान का बराबर अनुसरण करते हुए अखण्ड श्रवण करना चाहिए, उसी प्रकार सूत्र के पदार्थों का चिन्तन-मनन करना चाहिए । अंतिम मंगल देवेन्द्रों, नरेन्द्रों और गणधरों द्वारा भी जिन्हें नमस्कार करने में आया है ऐसे हे रम गुरु! हे वीतराग भगवन्त ! आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम । नमस्कार करने योग्य ऐसे हे आचार्यों एवं मुनिवरों ! Jain Education International 215 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004255
Book TitleParmatma Banne ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyranjanashreeji
PublisherParshwamani Tirth
Publication Year2000
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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