SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 523
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट ४ : देश तथा नगर [ ४६७ साढ़े पच्चीस आर्य देशों में इसकी गणना की जाती है परन्तु बौद्ध ग्रन्थों में उल्लिखित सोलह महाजनपदों में इसका उल्लेख नहीं हुआ है । जैन सूत्रों के अनुसार इसकी राजधानी कांचनपुर (भुवनेश्वर ) थी। इस जनपद का दूसरा महत्त्वपूर्ण स्थान 'पुरी' ( जगन्नाथपुरी ) था । २ ु काम्पिल्य नगर : यहां का राजा ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती था । संजय राजा ने भी यहीं पर शासन किया था । उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में कायमगंज स्टेशन ( हाथरस के पास ) से ८ मील दूर गंगा के १. साढे पच्चीस आर्यदेश व उनकी राजधानियां इस प्रकार हैं : राजधानी कांपिल्यपुर ताम्रलिप्त पापा ( पावापुरी) जनपद अंग कलिङ्ग काशी कुणाल ( उत्तर कोशल ) कुशा कुरु केक. ( अ ) ( श्रावस्ती से पूर्व-नेपाल की तराई में) कोशल चेदि जांगल दशार्ण राजधानी चम्पा कांचनपुर वाराणसी श्रावस्ती Jain Education International ✔ सोरिय (शौर्यपुर) गजपुर (हस्तिनापुर) श्वेतिका ra शुक्तिमती अहिच्छत्रा मृत्तिकावती उद्धृत - जै० भा० स०, पृ० ४५९. जनपद पांचाल बंग भंगि मगध मत्स्य मलय भद्रपुर लाढ कोटिवर्ष. वत्स कौशाम्बी वट्टा मासपुरी वरणा अच्छा विदेह मिथिला शाण्डिल्य नन्दिपुर शूरसेन सिंधु- सौवीर सौराष्ट्र राजगृह For Personal & Private Use Only वैराट २. जै० भा० स०, पृ० ४६६. ३. उ० १३.२; १८.१. ४. महाभारत के शान्तिपर्व ( १३६. ५ ) में भी ऐसा उल्लेख मिलता है । देखिए - महा० ना०, पृ० ६३. मथुरा वीतिभयपट्टन द्वारवती (द्वारका) www.jainelibrary.org
SR No.004252
Book TitleUttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherSohanlal Jaindharm Pracharak Samiti
Publication Year1970
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy