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________________ ® कामवृत्ति से विरति की मीमांसा ॐ ९९ 8 मध्याह्न के सूर्य पर दृष्टि पड़ते ही तुरन्त हटा ली जाती है, वैसे ही उस तरफ से अपनी दृष्टि झटपट हटा लेनी चाहिए।' इतना ही नहीं, ब्रह्मचारी एवं काम-संवर के साधक को ऐसे मोहल्ले, गली या स्थान से होकर नहीं जाना चाहिए, जहाँ व्यभिचारिणी, कुलटा एवं स्वेच्छाचारिणी, वेश्याओं का निवास हो। क्योंकि ऐसे अशुभ निमित्तों के मिलने पर ब्रह्मचर्य भंग होने या कामोत्तेजना होने की संभावना रहती है। कामोत्तेजक के दृश्य निमित्तों से बचना आवश्यक अतः निमित्तों से बचने के लिए अनेक उपाय महापुरुषों ने बताए हैं। भीत पर, कागज पर चित्रित नवयुवती का चित्र जड़ होते हुए भी कच्चे साधक के मन में क्षणभर में कामोत्तेजना जगा सकता है। इसीलिए श्रमद् रायचन्द जी ने कहा है “निरखीने नवयौवना, लेश न विषय-निदान। गणे काष्ठनी पूतली, ते भगवान-समान।" अतः कामवृत्ति पर अंकुश लाने के लिए अश्लील चलचित्र, टी. वी., वीडियो केसेट, नाटक, अश्लील गायन-वादन तथा नृत्य एवं गंदे उपन्यासों आदि से बचना आवश्यक है। काम-संवर-साधक इन निमित्तों से बचे - ब्रह्मचर्य-रक्षा के लिए निम्नोक्त श्लोक भी निमित्तों से बचने की प्रेरणा देता है “स्मरणं कीर्तनं केलिः, प्रेक्षणं गुह्य भाषणम्। संकल्पोऽध्यवसायश्च क्रियानिष्पत्तिरेव च। एतन्मैथुनमष्टांगं प्रवदन्ति मनीषिणः।” __ब्रह्मचारी को निम्नोक्त अष्ट मैथुनांगों से बचने का प्रयत्न करना चाहिएस्त्रियों के रूप आदि या पूर्वभुक्त भोगों का स्मरण, बार-बार उनके सौन्दर्य, रूप, अभिनय, चेष्टा आदि का बखान (कीर्तन) करना, स्त्रियों के साथ क्रीड़ा, सह-शिक्षण आदि करना, उनकी ओर टकटकी लगाकर विकारी दृष्टि से देखना, स्त्रियों के साथ एकान्त में संभाषण करना, किसी सुन्दरी स्त्री को पाने का संकल्प करना, मन में बार-बार इसी प्रकार के कामुकता के विचार करना तथा १. चित्तभित्तिं न निज्झाए, नारिं वा सुअलंकियं। . भक्खरं पिव दट्ठणं, दिढि पडिसमाहरे।। -दशवैकालिक, अ. ८/३३ २. न चरेज्ज वेयसामंते, बंभचेरवसाणुए। - बंभचारिस्स दंतस्स होज्जा तत्थ विसोनिया॥ -वही, अ. ५, उ. १/८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004248
Book TitleKarm Vignan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages697
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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