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________________ ३२६ कर्म विज्ञान : भाग ५ : कर्मबन्ध की विशेष दशाएँ नवम गुणस्थान के अधिकारी नौवें गुणस्थान के अधिकारी जीव दो प्रकार के होते हैं - (१) उपशमक और (२) क्षपक। वे मोहनीय कर्म की उपशमना अथवा क्षपणा करते-करते अन्य अनेका कर्मों का भी उपशमन या क्षपण कर लेते हैं। अतएव इस गुणस्थान में उपशमश्रेणि या क्षपकश्रेणि का क्रम आगे बढ़ता है, और मोहनीय कर्म की बीस प्रकृतियों का उपशम या क्षय हो जाता है, तथा पहले दूसरी सात प्रकृतियों का क्षय या उपशम तो हो चुका होता है । इस कारण इस गुणस्थान में केवल एक संज्वलन - लोभ ही शेष रहता है। द्रव्य संग्रह की टीका में बताया है- देखे, सुने और अनुभव किये हुए भोगों की इच्छा - आदि रूप समस्त संकल्प - विकल्पों से रहित अपने निश्चल परमात्म स्वरूप के एकाग्रध्यानरूप परिणाम से जिन जीवों के एक समय में अन्तर नहीं होता, वे नवम गुणस्थानवर्ती उपशमक या क्षपक होते हैं । १ (१०) सूक्ष्म - सम्पराय गुणस्थान : स्वरूप, कार्य और अधिकारी जिस गुणस्थान में आत्मा स्थूल (बादर) कषायों से सर्वथा निवृत्त हो जाता है, परन्तु सूक्ष्म सम्पराय अर्थात् सूक्ष्म कषाय-संज्वलन कषाय से युक्त हो, वह सूक्ष्म सम्पराय गुणस्थान है। इस गुणस्थान में सूक्ष्म लोभ कषाय का उदय रहता है, अथवा जिस गुणस्थान में कषाय को सूक्ष्म कर दिया जाता है, केवल सूक्ष्म लोभ कषाय का वेदन रहता है; उसे सूक्ष्म सम्पराय कहते हैं । इस गुणस्थानं में अन्य कषायों का उपशम या क्षय कर दिया जाता है। कितनी ही प्रकृतियों का उपशम करता है, करेगा और पहले भी उपशम कर चुका है, वहाँ औपशमिक भाव है, तथा कितनी ही प्रकृतियों का क्षय करता है, करेगा, और पहले भी क्षय कर चुका है, वहाँ क्षायिक (पृष्ठ ३२५ का शेष) (ग) णणिवट्टंति तहा वि य परिणामेहिं मिहो जेहिं ॥ ५६ ॥ - होंति अणियट्टिणो ते पडिसमये जेस्सिमेक्क- परिणामा । विमलयर-झाण-हुयवहसिहाहिं णिछिड्ढ - कम्मवणा ॥ ५७ ॥ (घ) चौद गुणस्थान, पृ. १३५. (ङ) आत्मतत्वविचार से भावांशग्रहण, पृ. ४८७ १. (क) वही, पृ. ४८७ (ख) द्रव्य संग्रह टीका' Jain Education International - गोम्मटसार (जीवकाण्ड) ५६-५७ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004246
Book TitleKarm Vignan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages614
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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