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________________ उ. प्र.1529 स्वयंबुद्ध एवं प्रत्येक बुद्ध में क्या अन्तर है ? उ. दोनों के बोधि, उपधि, श्रुत एवं लिङ्ग में अन्तर है I स्वयं बुद्ध जो दूसरों के उपदेश और बाह्य निमित्त के बिना स्व ज्ञान वैराग्य से बोध को प्राप्त करते है । उपधि पात्र आदि धर्मोपकरण 12 प्रकार के होते है । पात्र, आपका कथन सत्य है, तीर्थ सिद्ध और अतीर्थ सिद्ध में सिद्धों के समस्त प्रकारों का समावेश हो जाता है, परन्तु मात्र इन दो से उत्तरोत्तर प्रकार का सम्पूर्ण बोध स्पष्ट नहीं हो सकता है। इसलिए अज्ञात के ज्ञापनार्थ, उनके सम्यक् बोध हेतु अन्य तेरह प्रकार का कथन किया है, जो सार्थक है । क्रम | भिन्नता 1. बोधि 2. 434 Jain Education International पात्रबन्ध, रजस्त्राण, पात्रकेसरिका, पात्र स्थापन, गोच्छक और पटलक ( सात प्रकार के पात्र नियोग) और पांच प्रकार की उपधि रजोहरण, मुखवस्त्रिका, कल्प (पांगरण वस्त्र), कम्बल और कम्बल - अन्तरपट । प्रत्येक बुद्ध जो बाह्य निमित्त से प्रेरित होकर बोध को प्राप्त करते है 1 पात्र आदि धर्मोपकरण, उपधि 9 प्रकार की होती है - पात्र, पात्रबन्ध, रजस्त्राण, पात्र केसरिका, पात्रस्थापन, गोच्छक और पटलक आदि सात प्रकार के पात्र नियोग और दो प्रकार की उपधि - रजोहरण और मुख वस्त्रिका । For Personal & Private Use Only परिशिष्ट www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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