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________________ प्र.1323 अष्टान्हिका पूजा को समझाइये ? कार्तिक, फाल्गुन व आषाढ़ मास के अंतिम आठ दिनों में देवताओं के द्वारा नंदीश्वर द्वीप के शाश्वत चैत्यों की जो पूजा की जाती है, उसे अष्टान्हिका पूजा कहते है। प्र.1324 गंधोदक से क्या तात्पर्य है ? उ. . गंधोदक शब्द गंध + उदक इन दो शब्दों से बना है । गंध-सुगन्धित, उदक-जल । सुगन्धित जल गंधोदक कहलाता है। जो जल तीर्थंकर परमात्मा के शरीर स्पर्श मात्र से सुगन्धित हो जाता है, वह गंधोदक कहलाता है। 34 अतिशय में सुगन्धित शरीर भी परमात्मा का एक अतिशय है। प्र.1325 अष्टप्रकारी पूजा में परमात्मा की पूजा करते समय जल क्यों चढाते है ? प्राकृत भाषा में जल को अप कहते है और अप से ही अप्पा शब्द बना; जो आत्मा का द्योतक है। जल, समर्पण भाव का प्रतीक है। जल जैसे नीचे की ओर बहता हुआ निर्मल होकर सागर में विलीन हो जाता है उसी प्रकार हे परमात्मन् ! मैं भी देव - गुरू धर्म के प्रति पूर्ण समर्पित होकर परमात्मा रुपी सागर में विलीन हो जाउँ । प्र.1326 चन्दन से पूजा क्यों करते है ? उ. सांपों से लिपटे रहने के बावजूद भी चंदन अपने स्वभाव को छोड़, पर स्वभाव में परिणत नही होता, वैसे ही परमात्मा मैं संसार के संग रहकर भी अपने मन में संसार को नहीं बसाऊं (समाऊ) । पदार्थों से हटकर मैं भी परमात्मा में रम जाऊँ । आत्म दशा को प्राप्त करूँ । इस हेतु से ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ दिगम्बर परम्परानुसार 370 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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