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________________ वधू दोष 10. लम्बुत्तर दोष 11. स्तन दोष 12. संयती दोष 13. भ्रमितांगुली (अङ्गुलीका ध्रु) दोष 14. वायस दोष 15. कपित्थ दोष 16. शिरकंप दोष 17.मूक दोष 18. मदिरा दोष 19. प्रेक्ष्य दोष । जो लोग कायोत्सर्ग के 21 दोष मानते है, उनके मतानुसार स्तंभ व कुड्य दोष तथा अंगुली व भ्र दोष अलग-अलग है। प्र.1234 कायोत्सर्ग के 19 दोषों का वर्णन कीजिए ? . उ. 1. घोटक दोष - घोडे की तरहे एक पाँव टेढा या ऊँचा रखना । __ 2. लता दोष - हवा से जैसे लता हिलती-डुलती है, वैसे ही शरीर को कायोत्सर्ग में धुनना (हिलाना) । 3. स्तंभादि दोष - स्तम्भ । दीवार आदि के सहारे बैठकर या खडे होकर कायोत्सर्ग करना । 4. माल दोष - छत से सिर लगाकर कायोत्सर्ग करना । 5. उद्धि दोष - अंगुष्ट को मोडकर पाँव के नीचे के हिस्से को जोडकर पाँव रखना। 6. निगड दोष - बेडी में बंधे पाँवों की तरह पाँवों को चौडा रखकर कायोत्सर्ग करना। 7. शबरी दोष-नग्न स्त्री की भाँति अपने गुप्तांगों पर हाथ रखना । 8. खलिण दोष - रजोहरण या चरवला सहित अपना हाथ आगे रखना _या डंडी पीछे और दस्सी आगे रखकर खडा होना । 9. वधू दोष - नव परिणीता स्त्री की भाँति अपना सिर नीचे रखना। 10. लम्बुत्तर दोष - अधो वस्त्र नाभि से ऊपर तथा घुटनों से नीचे पहनना। चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी . 327 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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