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________________ सत्रहवाँ निमित्त द्वार प्र.1041 निमित्त किसे कहते है ? उ. कार्य करने के उद्देश्य को निमित्त कहते है । प्र.1042 चैत्यवंदन में कायोत्सर्ग किस निमित्त से किये जाते है ? उ. चैत्यवंदन में कायोत्सर्ग निम्न आठ निमित्त से किये जाते है- 1. इरियावहिया (ईर्यापथिकी) 2. वंदणवत्तियाए (वंदन) 3. पूअणवत्तियाए (पूजन) 4. सक्कार वत्तियाए (सत्कार) 5. सम्माण वत्तियाए (सम्मान) 6. बोहिलाभ वत्तियाए (बोधि लाभ) 7. निरुवसग्ग वत्तियाए (मोक्ष) . 8. सम्यग्दृष्टि देव के स्मरणार्थ । प्र.1043 इरियावहिया का कायोत्सर्ग किस निमित्त से किया जाता है ? उ. ईर्यापथिकी की क्रिया (गमनागमन क्रिया) से पाप मल लगने के कारण आत्मा मलिन हुआ, उस मलिनता को दूर करने, आत्मा के परिणाम को शुद्ध व निर्मल बनाने के निमित्त से एक लोगस्स (चंदेसु निम्मलयरा तक) का कायोत्सर्ग किया जाता है। प्र.1044 'वंदणवत्तियाए' निमित्त से क्या तात्पर्य है ? उ. वंदण - अभिवादन, प्रणाम, नमस्कार अर्थात् प्रशस्त मन, वचन, काया ... की प्रवृत्ति । वत्तियाए - तात्प्रयोग्य अर्थात् उसके निमित्त यानि उस प्रशस्त प्रवृत्ति स्वरुप वंदन के लाभार्थ । स्तुति, स्तवनादि से मन-वचन-काया की प्रशस्त प्रवृत्ति स्वरुप, वंदन के निमित्त कायोत्सर्ग करता हुँ, ताकि मुझे वंदन का लाभ मिले। चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 275 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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