SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उ. ध्वजा के मध्य भाग के रंग को देखकर परमात्मा की अवस्था का ज्ञान होता है । ध्वजा का मध्य भाग यदि सफेद है तो मूलनायक परमात्मा अरिहंत अवस्था में है, और यदि ध्वजा का मध्य भाग लाल रंग का है . तो परमात्मा की प्रतिमा सिद्धावस्था में है। प्र.410 अरिहंत व सिद्ध अवस्था का ज्ञान प्रतिमाजी से कैसे होता है? : उ. जो प्रतिमा अष्ट प्रातिहार्यों से युक्त अर्थात् परिकर सहित होती है वह अरिहंत अवस्था वाली प्रतिमा कहलाती है। परिकर रहित कायोत्सर्ग मुद्रा वाली प्रतिमा सिद्धावस्था वाली कहलाती है। प्र.411 अष्ट मंगल की पाटली की पूजा करना क्या उचित है ? उ.. इन्द्र महाराजा भक्ति वश परमात्मा के सम्मुख अष्ट मंगल का आलेखन करते है। उसके प्रतीक रुप में अष्ट मंगल की पाटली प्रभु के आगे मंगल रुप में रखी जाती है। अत: अष्ट मंगल की पूजा नही, आलेखन करने का विधान है। जिस प्रकार चावल से स्वस्तिक करने का विधान है उसी प्रकार चावल से अष्ट मंगल आलेखन करने का विधान है। आलेखन में समय अधिक व्यय होने के कारण पूर्व समय में एक लकडी की अष्ट मंगल की पाटली रखने की प्रथा प्रारम्भ हुई थी, जिसमें चावल डालने पर अष्ट मंगल का आलेखन हो जाता था। पर वर्तमान काल में इसका स्वरुप ही बदल गया है। इसे पबासन पर परमात्मा के सम्मुख न रखकर कहीं कोने में रख दिया जाता है और चंदन से इसकी पूजा की जाती है, जो सर्वथा अनुचित है । प्र.412 अष्ट मंगल कौन-कौन से है ? 100 चतुर्थ पूजा त्रिक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy