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________________ रात की, ईक-होने वाली । अर्थात् संध्या काल में (रात के प्रारंभ) की जाने वाली आरती कहलाती है । अपभ्रंश में आरात्रिक का आरतिय रुप बनता है। प्र.400 आरति का आकार किसकी प्रेरणा देता है ? . उ. यह जागृति का प्रेरक है । यह हमें हमारी आत्मा पर छाये मोहनीय कर्म के बादलों के आवरण को छिन्न-भिन्न करने के भावों को मन में जाग्रत . करने की प्रेरणा देता है। प्र.401 आरति में पांच दीपक ही क्यों ? उ. 1. दीपक ज्ञान का प्रतीक रुप है । अतः प्रतिकात्मक रुप से मति, श्रुत आदि पांच ज्ञान की अपेक्षा से पांच दीपक होते है । जिस प्रकार '. एक द्रव्य दीपक चारों ओर फैले अंधकार को नष्ट कर प्रकाश फैलाता है उसी प्रकार से सम्यक ज्ञान अंतर के अज्ञान का नाश करके केवलज्ञान का भाव दीप प्रज्वलित करता है। 2. पांच का अंक मांगलिक है और ज्ञान को नंदी सूत्र में मांगलिक कहा ___है। इस अपेक्षा से आरति में पांच दीपक होते है । प्र.402 दीपक के स्टेण्ड का आकार सर्पनुमा क्यों है ? उ. शास्त्रों में मोह को सर्प से उपमित किया है। मोहनीय कर्म सर्प के समान घातक होता है। अतः सर्व प्रथम आत्मघातक मोहनीय कर्म का क्षय करना है यह बात प्रतिपल स्मरण रहे इस हेतु से दीपक के स्टेण्ड का आकार सर्पनुमा है। प्र.403 कर्पूर प्रज्वलित करने का क्या कारण है ? उ. दीपक के आस पास रहे छोटे-छोटे जीव-जन्तु कर्पूर की सुगन्ध से दूर ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चतुर्थ पूजा त्रिक 98 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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