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________________ १. श्री तिलकसूरि (१२वीं शताब्दी) २. क्षेमकीर्ति आवश्यक सूत्र, जीत-कल्प वृत्ति दशवैकालिक वृत्ति मलयगिरि रचित बृहद्-कल्प की अपूर्ण टीका चतुःशरण, आतुरप्रत्याख्यान और . संस्तारक पर टीकाएँ। ३. भुवनतुंगसूरि (महेन्द्र सूरि के शिष्य थे) (विक्रम सं. १२९४) ४. गुणरत्न (विक्रम सं. १४८४) भक्तपरिज्ञा, संस्तारक, चतुःशरण आतुरप्रत्याख्यान प्रकरणों की टीकाएँ तन्दुलवैचारिक, गच्छाचार की टीकाएँ गच्छाचारप्रकीर्णक की वृत्ति जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति की टीका ५. विजयविमल (विक्रम सं. १६३४) ६. वानर्षि ७. हीरविजय सूरि (विक्रम सं. १६३९) ८. शान्तिचन्द्रगणि (विक्रम सं. १६६०) ९. जिनहंस (विक्रम सं. १५८२) १०. हर्षकुल (विक्रम सं. १५८३) जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति पर प्रमेयरत्नमञ्जूषा टीका आचारांग की टीका सूत्र-कृतांग, दीपिका, भगवती टीका और उत्तराध्ययन टीका आचारांग वृत्ति, ज्ञाताधर्मकथा वृत्ति ११. लक्ष्मीकल्लोलगणि (विक्रम सं. १५९६) १२. दानशेखर १३. विनयहंस १४. जिनभट्ट १५. नमिसाधु (विक्रम सं. ११२२) १६. ज्ञानसागर (विक्रम सं. १४४०) माणिक्यशेखर १८. शुभवर्द्धन गणि (सं. १५४०) १९. धीरसुन्दर (सं. १५००) २०. श्रीचन्द्रसूरि (सं. १२२२) २१. कुलप्रभ (१३) २२. राजवल्लभ व्याख्या-प्रज्ञप्ति लघु वृत्ति उत्तराध्ययनवृत्ति, दशवैकालिक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आवश्यक वृत्ति आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन ४२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004238
Book TitleAcharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshree Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2001
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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