SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २. पञ्चकल्प भाष्य-पञ्चकल्प भाष्य को पञ्चकल्प महाभाष्य भी कहा जाता है। इसके रचनाकार संघदासगणि हैं। इसमें कुल २६५५ गाथाएँ हैं। भाष्य के रूप में २५७४ गाथाएँ प्रचलित हैं। ३. जीतकल्प भाष्य-जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण द्वारा रचित यह जीत-कल्प भाष्य जीतकल्प पर आधारित है। यह एक संग्रह आगम ग्रन्थ है। इसमें २६०६ गाथाएँ हैं। जिनभद्रगणि ने इस भाष्य में प्रायश्चित्त विधि का निर्देश किया है। इसे हम आचार संहिता का मापक यंत्र कह सकते हैं। ४. उत्तराध्ययनन भाष्य-शान्ति सूरि की प्राकृत टीका में उत्तराध्ययन भाष्य की गाथाएँ मिलती हैं। इनकी कुल संख्या ४५ है। इस भाष्य की गाथाएँ अन्य भाष्य ग्रन्थों की तरह नियुक्तियों के साथ मिल गई हैं। ५. आवश्यक भाष्य-आवश्यक सूत्र पर आधारित आवश्यक भाष्य श्रमण-श्रमणियों की साधना पद्धति को प्रस्तुत करने वाला महत्त्वपूर्ण भाष्य ग्रन्थ है। इस भाष्य में २५३ गाथाएँ हैं जो नियुक्ति गाथाओं के साथ निसृत हो गई हैं। आवश्यक सूत्र पर तीन भाष्य लिखे गये हैं–१. लघुभाष्य,२.महाभाष्य,३.विशेषावश्यक भाष्य। ६. दशवैकालिक भाष्य-आचार्य हरिभद्र ने दशवैकालिक पर एक लघु भाष्य की रचना की है, जिसमें ३६ गाथाएँ हैं। इसमें श्रमणों के मूलगुण और उत्तरगुणों का विवेचन है। इसमें हेतु विशुद्धि, जीव सिद्धि, प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रमाण की चर्चा की गई है। जीव के स्वरूप का वैदिक, बौद्ध (सामइक) एवं लौकिक दृष्टि से तार्किक शैली में विवेचन प्रस्तुत किया गया है। जैन दृष्टि से जीव का स्वरूप क्या है ? इस प्रश्न का समाधान इसकी प्रमुख विशेषता है। प्रसंगानुसार दशवैकालिक भाष्य में साधु धर्म की चर्चा भी की गई है तथा उनके आचार-विचार पर भी प्रकाश डाला गया है। यह भाष्य लघु होते हुए भी विषय प्रतिपादन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। ७. निशीथ भाष्य संघदास गणि ने निशीथ सूत्र पर प्राकृत भाषा में जो व्याख्या प्रस्तुत की वह निशीथ भाष्य के नाम से प्रसिद्ध है। संघदास गणि ने प्रस्तुत रचना में श्रमणों के आचार के सम्यक् व्याख्या की है। निशीथ भाष्य को निशीथ लघु भाष्य भी कहा जाता है। डॉ. जगदीश चन्द्र जैन ने निशीथ लघु भाष्य शब्द का उल्लेख करते हुए यह भी कथन किया है कि निशीथ भाष्य के रचनाकार संघदास गणि हैं। वसुदेवहिंडी के रचनाकार संघदास गणि वाचक नहीं हैं। निशीथ सूत्र पर लिखी गई भाष्य युक्त गाथाएँ कल्प भाष्य और व्यवहार भाष्य में भी प्राप्त होती हैं। यह भाष्य २० उद्देशकों में विभक्त है जिसमें कुल ६७०३ गाथाएँ हैं। इसमें सभी तरह सांस्कृतिक सामग्री है। आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन २८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004238
Book TitleAcharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshree Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2001
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy