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________________ शील की उत्पत्ति में भी यह सहकारी है।७३ मुनि, अमुनि, रति, अरति, बाह्य एवं आभ्यन्तर ग्रन्थी संयमशील साधक की साधना में बाधक है। इसलिये प्रज्ञावन्त साधक संयम की रक्षा करने के लिये सभी प्रकार के परिग्रहों से विमुक्त सदैव जाग्रत रहते हैं। शीतोष्णीय अध्ययन में चार उद्देशक हैं। वृत्तिकार ने संक्षिप्त में प्रत्येक अध्ययन का सार इस प्रकार प्रतिपादित किया है १. प्रथम उद्देशक-भाव निद्रा से सुसुप्त है अर्थात् सम्यक् विवेकरहित असंयत . २. द्वितीय उद्देशक इसमें कहा है कि जो भाव निद्रा से युक्त होते हैं वे दुःख का अनुभव करते हैं, कामों में गृद्ध रहते हैं तथा नीच कर्म करते हैं। ३. तृतीय उद्देशक-इसमें कहा है कि संयमशील साधक क्रियाओं से रहित जाग्रत होते हैं। ४. चतुर्थ उद्देशक-इसमें कहा है कि संयमी साधक कषायों का वमन करते हैं और पाप कर्मों से दूर रहते हैं। इस तरह यह अध्ययन अलग-अलग विषयों को प्रतिपादित करने वाला है। प्रथम उद्देशक - "सुत्ता अमुणी सया मुणिणे जागरंति"७५ ___ अर्थात् सोये हुए अमुनि हैं और जो जाग्रत हैं वे मुनि हैं। अमुनि अज्ञानता का द्योतक है। मुनि ज्ञान का समर्थक है। इसलिये वृत्तिकार ने अमुनि को मिथ्यात्व की दृष्टि वाला एवं अज्ञानता से युक्त कहा है। अज्ञान और मिथ्यात्व के कारण महानिद्रा को प्राप्त होता है इसलिये अमुनि सोया हुआ है। हित और अहित का विचार करने वाला, सदैव जाग्रत धर्ममार्ग पर रत सम्यक्त्व की प्राप्ति में लीन, क्षीण कषाय युक्त मुनि हैं। वह–“समय लोगस्य जाणित्ता अर्थात् संसार के समय को (आचार-विचार को) जानकर सदैव जाग्रत रहता है, क्योंकि समय आत्मा है, समय ज्ञान है, समय रत्नमय है, समभाव है, समय समता है, समय आचार है इसलिये समय को जानकर अष्ट कर्मों की समस्त प्रकृतियों और उनके मूल कारणों को क्षय करता है। इस प्रकार इस उद्देशक में वृत्तिकार ने संसार के मूल बीज राग और द्वेष एवं उनसे उत्पन्न होने वाले कारणों से रहित परिश्रमशील, मेधावी एवं संयमी भी जाग्रत बतलाया है। आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004238
Book TitleAcharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshree Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2001
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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