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________________ (३२) ४. मुनिजन चिन्तामणि चतुर्थ कर्नाटक टीका ‘मुनिजन चिन्तामणि' नाम से मिलती है, इसमें मूलाचार को कुन्दकुन्दाचार्य की रचना बताया है । यह दक्षिण भारत शास्त्र . . भण्डारों में उपलब्ध है। ५. मेधावी कवि कृत मूलाचार टीका एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल (कलकत्ता) से अपने पुस्तकालय के हस्तलिखित ग्रन्थों की लिस्ट ऑफ जैना एम.एस.एस.' को (ग्रन्थ क्रमांक १५२१) देखने से ज्ञात होता है कि मेधावी कवि द्वारा रचित भी एक अन्य 'मूलाचार टीका' है । वैसे १६वीं शती के मेधावी कवि द्वारा लिखे धर्मसंग्रहश्रावकाचार प्रसिद्ध ही है। इन्हीं कवि का उक्त टीका ग्रन्थ भी सम्भव है । पर इसके विषय में अन्यत्र कहीं भी अभी तक उल्लेख देखने में नहीं आया । ६. मूलाचार भाषावचनिका ___ जिस पुरानी हिन्दी (जयपुर की ढूंढारी भाषा) के प्रमुख सहयोग से प्रस्तुत आवश्यक नियुक्ति का हिन्दी अनुवाद किया गया है, उस मूलाचार भाषावचनिका ग्रन्थ का परिचय भी अत्यावश्यक है । सन् १९९० के पूर्व तक इसके विषय में किसी को जानकारी नहीं थी । यह एक अति महत्त्वपूर्ण बृहद् ग्रन्थ इसलिए भी है क्योंकि इस दुर्लभ हस्तलिखित शास्त्र का पहली बार उद्धार अर्थात् सम्पादन और प्रकाशन का सौभाग्य हम दोनों को ही प्राप्त है । यद्यपि हस्तलिखित पाण्डुलिपि के आधार पर ऐसे ग्रन्थ का सम्पादन और प्रकाशन बहुत ही श्रमसाध्य कार्य है । किन्तु इन कार्यों में श्रुतसेवा की भावना रहती है, अत: इसका प्रकाशन देखकर अपार आनन्द की अनुभूति हुई। वस्तुत: अजमेर एवं देहरा तिजारा (अलवर) के जैनशास्त्र भण्डारों से हमें (डॉ. फूलचन्द जैन प्रेमी एवं मेरी सहधर्मिणी श्रीमती डॉ. मुन्नीपुष्पा जैन को) सन् १९९० में यहाँ की यात्रा प्रसंग में इस शास्त्र की हस्तलिखित प्रतियाँ प्राप्त हुईं । हमने यहाँ से इनकी जिराक्स प्रतियाँ लीं और बाद में हमने इसका सम्पादन कार्य लगभग चार-पाँच वर्षों तक निरन्तर काफी परिश्रम से करके बृहद् ग्रन्थ के रूप में आ० वट्टकेर की मूल शौरसेनी प्राकृत गाथाओं के साथ आचार्य वसुनन्दि की संस्कृत आचारवृत्ति एवं भाषावनिका के साथ सन् १९९६ में प्रकाशित कराया है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004237
Book TitleAavashyak Niryukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Jain, Anekant Jain
PublisherJin Foundation
Publication Year2009
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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