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________________ आवश्यकनियुक्तिः १३३ तान् दोषानाहघोडय लदा य खंभे कुड्डे माले य सबरवधू णिगले । लंबुत्तरथणदिट्ठी वायस खलिणे जुग कवितु ।।१६७।। घोटको लता च स्तंभः कुड्यं माला च शबरवधूनिगडः । लंबोत्तरः स्तनदृष्टिः वायसः खलिनं युगं कपित्थं ॥१६७॥ घोडय घोटकस्तुरगः स यथा एकं पादमुत्क्षिप्य विनम्य वा तिष्ठति तथा य: कायोत्सर्गेण तिष्ठति तस्य घोटकसदृशो घोटकदोषः, तथा लता इवांगानि चालयन्य: तिष्ठति कायोत्सर्गेण तस्य लतादोषः । स्तंभमाश्रित्य यस्तिष्ठति कायोत्सर्गेण तस्य स्तंभदोषः । स्तंभवत् शून्यहृदयो वा तत्साहचर्येण स एवोच्यते । तथा कुड्यमाश्रित्य कायोत्सर्गेण यस्तिष्ठिति तस्य कुड्यदोषः । । साहचार्यादुपलक्षणमात्रमेतदन्यदप्याश्रित्य न स्थातव्यमिति ज्ञापयति, तथा मालापीठाद्यपरि स्थानं अथवा मस्तकावं यत्तदाश्रित्य मस्तकस्योपरि यदि किञ्चिल्लगतिस्तथापि यदि कायोत्सर्गः क्रियते स मालदोषः । कायोत्सर्ग के बत्तीस दोष कहे जा रहे हैं गाथार्थ-घोटक, लता, स्तम्भ, कुड्य, माला, शबरवधू, निगड, लम्बोत्तर, स्तनदृष्टि, वायस, खलिन, युग और कपित्थ-ये कायोत्सर्ग के दोष हैं ॥१६७॥ (शेष दोष आगे कहे जायेंगे-) . आचारवृत्ति-१. घोटक–घोड़ा जैसे एक पैर को उठाकर अथवा झुकाकर खड़ा होता है उसी प्रकार से जो कायोत्सर्ग में खड़े होते हैं उनके 'घोटक' सदृश यह घोटक नाम का दोष होता है । २. लता-लता के समान अंगों को हिलाते हए जो कायोत्सर्ग में स्थित होते हैं उनके यह 'लता' दोष होता है । ३. स्तम्भ-जो खम्भे का आश्रय लेकर जो कायोत्सर्ग से स्थित होते हैं अथवा स्तंभ के समान शून्य हृदय होकर करते हैं उसके साहचर्य से यह वही दोष हो जाता है । ..४. कुड्य–भित्ती (दीवाल) का सहारा लेकर जो कायोत्सर्ग से स्थित होते हैं उनके यह 'कड्य' दोष होता है । अथवा साहचर्य से यह उपलक्षण मात्र है। इससे अन्य का भी आश्रय लेकर नहीं खड़ा होना चाहिए-ऐसा सूचित होता है । ५. माला-माला-पीठ-आसन आदि के ऊपर खड़े होना अथवा सिर के ऊपर कोई रज्जु वगैरह का आश्रय लेकर अथवा सिर के ऊपर जो कुछ वहाँ हो, फिर भी कायोत्सर्ग करना वह 'माला' दोष है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004237
Book TitleAavashyak Niryukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Jain, Anekant Jain
PublisherJin Foundation
Publication Year2009
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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