SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९८ आवश्यकनियुक्तिः आलोचनापर्यायनामान्याहआलोचणमालुंचण विगडीकरणं च भावसुद्धी दु । आलोचदहि आराधणा अणालोचणे भज्जा ।।१२०।। आलोचनमालुंचनं विकृतिकरणं च भावशुद्धिस्तुः ।। आलोचिते आराधना अनालोचने भाज्या ॥१२०॥ आलोचनमालुंचनमपनयनं विकृतीकरणमाविष्करणं भावशुद्धिश्चेत्येकोऽर्थः । अथ किमर्थमालोचनं क्रियत इत्याशंकायामाह-यस्मादालोचिते चरित्राचारपूर्वकेण गुरवे निवेदिते चेति आराधना सम्यग्यदर्शनज्ञानचारित्रशुद्धिरनालोचने पुनर्दोषाणामनाविष्करणे पुनर्भाज्याऽऽराधना तस्मादालोचयितव्यमिति ॥१२०॥ . आलोचने कालहरणं न कर्त्तव्यमिति प्रदर्शयन्नाहउप्पण्णो उप्पण्णा माया अणुपुव्यसो णिहंतव्वा । .. आलोचणणिंदणगरहणाहिं ण पुणो तिअं विदिशं ।।१२१।। दोष और अनाभोग. दोष तथा मन-वचन-काय से हुए जो भी दोष हुए हैं, साधु अनाकुल चित्त होकर उन सबकी आलोचना करें ॥११९॥ । आलोचना के पर्यायवाची नाम को कहते हैं गाथार्थ-आलोचना, आलुचन, विकृतिकरण और भावशुद्धि-ये एकार्थवाची हैं । आलोचना करने पर आराधना होती है और आलोचना नहीं करने पर विकल्प है ॥१२०॥ आचारवृत्ति-आलोचना और आलुचन इन दो शब्दों का अर्थ अपनयन अर्थात् दूर करना है, विकृतीकरण का अर्थ दोष प्रकट करना है तथा भावशुद्धिये चारों ही शब्द एक अर्थ को कहने वाले हैं । किसलिए आलोचना की जाती है ? गुरु के सामने चारित्राचारपूर्वक दोषों की आलोचना कर देने पर सम्यग् दर्शन, ज्ञान, चारित्र की शुद्धिरूप आराधना सिद्ध होती है । तथा दोषों को प्रकट न करने से पुन: वह आराधना वैकल्पिक है अर्थात् हो भी, न भी हो, इसलिए आलोचना करनी चाहिए ॥१२०॥ आलोचना करने में काल क्षेप नहीं करना चाहिए, इस बात को दिखाते गाथार्थ-जैसे-जैसे उत्पन्न हई माया अर्थात् व्रतादिक में अतिचार है उसको उसी क्रम से उसी काल में नष्ट कर देना चाहिए । आलोचना, निंदन और गर्हण करने में पुनः तीसरा या दूसरा दिन नहीं करना चाहिए ।।१२१॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004237
Book TitleAavashyak Niryukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Jain, Anekant Jain
PublisherJin Foundation
Publication Year2009
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy