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________________ कहा जाये तो स्थूल शरीर को औदारिक शरीर कहते हैं। गर्भज प्राणी तीन प्रकार के होते हैं-जरायुज, अण्डज, और पोतज ।३२४ जरायुवाले स्त्रीगर्भ से उत्पन्न जरायुज हैं, स्त्रीगर्भ में निर्मित (अण्डे) से उत्पन्न अण्डज हैं, एवं जरायुरहित स्त्रीगर्भ से उत्पन्न पोतज हैं। मनुष्य, गाय, बैल, बकरी आदि जरायुज । सर्प, गोह, गिरगिट, कबूतर आदि अण्डज एवं हाथी, खरगोश, भारण्डपक्षी आदि पोतज कहलाते हैं ।३२५ जरायु से पैदा होने वाले जरायुज, अण्डों से पैदा होने वाले अण्डज, पोत से पैदा होने वाले पोतज कहलतो हैं ।३२६ जरायु, अण्ड और पोत- ये तीनों शब्द प्राचीन भ्रूण विज्ञान के पारिभाषिक शब्द हैं। _पुंल्लिगी और स्त्रीलिंगी जीवों की शरीर रचना में विशेषता होती है। स्त्री जाति में गर्भाशय नामक अवयव होता है। लौंगिक प्रजनन में एक ही जाति के पंल्लिंगी और स्त्रीलिंगी जीवों के संयोग से स्त्री गर्भ में शक्र और शोणित के एकीकरण द्वारा प्राणिशरीर की उत्पत्ति सम्भव होती है। __ कुछ प्राणियों के गर्भविकास में गर्भ की सुरक्षा के लिए मांसधातु से निर्मित एक आवरण का विकास होता है, इसमें एक द्रव भरा रहता है और गर्भ इसके अन्दर तैरता सा रहता है; यह आवरण गर्भ को घर्षण आदि से बचाता है। इसी आवरण को जरायु कहते हैं। जातिगत स्वभाव के कारण कुछ प्राणियों में एक किंचित् कठिन आवरण से रक्षित शुक्रशोणितसंयोग के द्वारा निर्मित गर्भ गर्भाशय से बाहर कर दिया जाता है, इसे अण्डज (अण्डा) कहते हैं। यह गर्भ बाहर ही विकास को प्राप्त होकर आवरण को भेद कर बाहर आ जाता है। ऐसे प्राणियों को अण्डज कहते हैं। ___जिन जातियों में गर्भ के आवरण के बिना ही गर्भाशय में गर्भ का विकास होता है तथा जो योनि से निकलते ही चलने फिरने में समर्थ होता है उसे पोतज कहते हैं। ३२४. त. सू. २.३४ ३२५. सं. सि. २.३४, ३२६ ३२६ः सभाष्य तत्त्वार्थधिगम २.३४.१०८ १२३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004236
Book TitleDravya Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreejiji
PublisherBhaiji Prakashan
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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