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________________ योग शास्त्र [७३ 1 : वह तो हो गया सम्यग दर्शन । जो तत्व का ज्ञान है, वह सच्चा ज्ञान है । तत्व का बोध, ज्ञान है । जो वस्तु जैसी है, उस को वैसा जानना ही सम्यक् ज्ञान है । जीव, अजीव पाप, पुण्य, आश्रव, संवर, बंध, निर्जरा और मोक्ष - इन नव तत्वों को सही तरह से जान लेना, इन की सही Definition ( व्याख्या) जान लेना, इनके सही examples और इनके सही स्वरूप को भली-भांति जान लेना, उस का नाम है, सम्यग्ज्ञान । सम्यग्ज्ञान के बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते। मान लीजिए, आप मार्ग पर चले जा रहे हैं, मार्ग पर जाते-जाते आप मार्ग भटक जाते हैं, तो वहाँ पर क्या वस्तु काम आती है ? एक मात्र जो ज्ञान है, विवेक है, वह काम आता है। ज्ञान के विषय में किसो अंग्रेज विद्वान ने बहुत सुन्दर बात कही थी । Knowledge is Light, Knowledge is power, knowledge is the best virtue. Knowledge क्या है ? ज्ञान क्या है ? Knowledge is Light, ज्ञान एक प्रकाश के समान है। जैसे आप प्रकाश में रास्ता भूल नहीं सकते हैं, वैसे अगर आप के पास ज्ञान है, तो आप मोक्ष का रास्ता भूल नहीं सकते । मोक्ष के रास्ते पर आप तभी सही तरह से चल सकते हैं, जब आपके पास ज्ञान का प्रकाश है । जिस व्यक्ति के पास ज्ञान रूपी प्रकाश है, वह कभी चिंतित नहीं रहता । ज्ञान क्या है ? एक Power है, एक ताकत है, एक शक्ति है । जिस व्यक्ति के पास बुद्धि का बल होता है, वह बड़े-बड़े पहलवानों को भी हरा सकता है । बुद्धिर्यस्य बलं तस्य, निर्बुद्धेस्तु कुतो बलं ॥ 1 बुद्धिमान् व्यक्ति की ही विजय होती है । बलवान् यदि ज्ञानहीन हो, तो उस की विजय नहीं हो सकती । ज्ञान की शक्ति से मानव जीवन पथ पर अग्रसर होता है । 1. For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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