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________________ १८६] अहिसा 'पापड़ बेलते हैं। दुनियां के सब काम करते हैं और जब घर पर आ पहुंचते हैं तब ऐसे सीधे साधे ! कि जैसे उन को A,B,C. नहीं आती । आप समझते हैं कि हमारा बच्चा बहुत अच्छा हैं । आप उस का गुणगान करते हैं कि हमारा बच्चा कितना qualified है, वह अमेरिका जा कर आया है । आप ने क्या उसे समझाया ? आप ने तो उस के जीवन का पतन कर दिया। वर्तमान से बचने की आवश्यकता है। कदम-कदम के ऊपर कांटे बिछे हैं। कदम-कदम पर फिसलन है। कदम-कदम पर सम्भलना है। यदि एक भी कदम फिसल गए तो याद रखना सीधे सातवें पाताल में जाओगे। कोई रक्षक न मिलेगा वहां । आप को मालूम है कि ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियां होती हैं। नीचे पड़ने के लिए सीढ़ियां होती है ना ? क्या जरूरत है नीचे गिरने के लिए सीढ़ियों की ? ऊपर चढ़ने के लिये सीढ़ियों की आवश्यकता होती है और नीचे उतरने के लिए तो छलांग ही काफी हैं । केवल एक छलांग लगाई और सीधे सातवें पाताल के अन्दर तक, सीढ़ियां उतरने की आवश्यकता नहीं है। गिरने के लिए एक मिट भी नहीं लगता, चढ़ने में देर लगती है। जीवन में आहार शद्धि की आवश्यकता है । जीवन में यदि आहारशुद्धि को अपनाया तो आप का जीवन शुद्ध अहिंसावादी बन सकता है। जैसे गांधी ने अहिंसा का सिद्धांत बताया और नेहरु ने पंचशील सिद्धांत विकसित किया। यह सब हमारी जैन धर्म की देन हैं । हमारे जैन धर्म के सिद्धांत की, अहिंसा के सिद्धांत की, महावीर के उपदेश को सारा विश्व स्वीकार कर ले तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि सारे संसार में जो युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं, समाप्त हो सकते हैं । लथाविश्व शांति कायम हो सकती है। परमाणु शांति के लिए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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