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________________ योग शास्त्र [५] है । परन्तु वर्तमान युग मैं मनुष्य बन जाना बहुत सरल लगता है । मनुष्य के जन्म को रोका जा सकता है, कि कहीं मनुष्य बढ़ न जाएं। महावीर की वाणी क्या असत्य होगी, कि मनुष्य जन्म दुर्लभ है । महावीर का सिद्धान्त क्या सारा असत्य है, कई बार मन में शंका हो जाती है । शंका का समाधान भी प्राप्त कर लेना चाहिए । पहली बात, कि मनुष्य थोड़े हैं । गणना की दृष्टि से मनुष्य सचमुच बहुत थोड़े हैं । आप संसार पर दृष्टिपात कीजिए, कीड़े मकौड़े, पशु पक्षी कितने हैं । उन की अपेक्षा मनुष्य कितने कम हैं, मात्र आटे में नमक के समान । बहुत थोड़े । आप देखते हैं, कि सर्प कितने हैं ? बिच्छु कितने हैं ? जब वर्षा होती है, तो वर्षा में द्वी- इन्द्रिय, त्री- इन्द्रिय प्राणी अगणित संख्या में जन्म लेते हैं, क्रोड़ों-अरबों की संख्या में। मनुष्य आज कितने हैं ? मात्र ४ अरब । अतः मनुष्य अधिक नहीं हैं । सत्य है कि मनुष्य कम हैं। यह संख्या तो दृश्यमान भरत क्षेत्र की | यदि हम संसार के अन्य क्षेत्रों के मनुष्यों की भी गणना कर लें, तो भी मनुष्य उन जीवों की अपेक्षा क्रोड़ों-अरबों गुना कम होंगे । जनसंख्या की वृद्धि भी एक वहम है। पूर्व युग में जितने लोग जन्मते थे, उतने ही मर भी जाया करते थे । अतः प्रतीत होता था, कि जन संख्या उतनी ही है । उस की वृद्धि रुक गई है । मानो १०० व्यक्तियों ने जन्म लिया तथा लगभग १०० ही बच्चे या बूढ़े मर गए, तो संख्या में कितनी वृद्धि होगी ? यानि समान रहेगी । परन्तु आज विज्ञान के युग में बड़े-बड़े हैं। ऐसी-ऐसी दवाईयां आविष्कृत हो चुकी हैं, व्यक्ति भी थोड़े समय के लिए मृत्यु से बच सकते हैं । आज मनुष्य आयु कितनी है ? शायद ५८ वर्ष हो, परन्तु १० वर्ष - पूर्व यह औसत ४७ वर्ष थी तथा ५० वर्ष पूर्व यह औसत ४० वर्ष For Personal & Private Use Only Jain Education International अविष्कार हो चुके कि बड़े-बड़े रोगी www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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