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________________ 2. (क) (ख) 1. (70) भूतकाल, अन्य पुरुष एकवचन 3 / 1 (i) कारीअ (ii) करावीअ आदि भविष्यत्काल, अन्य पुरुष एकवचन 3/1 (i) कारेसइ आदि (ii) करावेसइ आदि = करवायेगा / करवायेगी । विधि एवं आज्ञा, अन्य पुरुष एकवचन 3 / 1 (i) कारउ आदि (ii) करावउ आदि = करवावे। इसी प्रकार उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष के रूप बनेंगे। कर्मवाच्य के प्रेरणार्थक प्रत्ययः आवि, 0 अपभ्रंश भाषा में प्रेरणा अर्थ में प्राकृत भाषा के अनुसार भाववाच्य और कर्मवाच्य के 'आवि' और 'शून्य' ( 0 ) प्रत्यय क्रिया में जोड़े जाते हैं। इससे अकर्मक क्रिया सकर्मक बन जाती है । जैसे(हस + आवि) = हसावि (हँसाना) (हस +0) = हास (हँसाना ) ( उपान्त्य' 'अ' का 'आ' हो जाता है) ( कर+आवि) करावि (कराना) Jain Education International = = करवाया। ( कर+0) = कार (कराना) (उपान्त्य' 'अ' का 'आ' हो जाता है) क्रियाओं में प्रेरणार्थक प्रत्यय जोड़ने के पश्चात कर्मवाच्य के इज्ज और इय प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे हसाविज्ज (हँसाया जाना) हसावि+इज्ज हसावि+इय हसाविय (हँसाया जाना) हास+इज्ज = हासिज्ज (हँसाया जाना) हास+इय = हासिय (हँसाया जाना) करावि+इज्ज = कराविज्ज (करवाया जाना) करावि+इय कराविय ( करवाया जाना) उपान्त्य अर्थात् क्रिया के अन्त का पूर्ववर्ती स्वर । = = = अपभ्रंश - हिन्दी- व्याकरण For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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