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________________ षष्ठी एकवचन 6/1 (क) कहा (स्त्री.)(कहा+0) = कहा (षष्ठी एकवचन) मइ (स्त्री.) (मइ+0) = मइ (षष्ठी एकवचन) लच्छी (स्त्री.)(लच्छी+0) = लच्छी (षष्ठी एकवचन) धेणु (स्त्री.)(धेणु+0) = घेणु (षष्ठी एकवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+0) = बहू (षष्ठी एकवचन) षष्ठी बहुवचन 6/2 (ख) कहा (स्त्री.) (कहा+0) = कहा (षष्ठी बहुवचन) मइ (स्त्री.) (मइ+0) = मइ (षष्ठी बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+0) = लच्छी (षष्ठी बहुवचन) धेणु (स्त्री.) (धेणु+0) = घेणु (षष्ठी बहुवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+0) = बहू (षष्ठी बहुवचन) -------------------- अकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु.) अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (स्त्री.) संबोधन बहवचन 8/2 15.(i) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, इ- ईकारान्त और उ-ऊकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के संबोधन बहुवचन में 'हो' प्रत्यय जोड़ा जाता है। संबोधन के अन्य रूप प्रथमा विभक्ति एकवचन और बहुवचन के 'अनुरूप होंगे जिन्हें परिशिष्ट-1 से समझा जा सकता है। जैसे संबोधन बहुवचन (पु.) 8/2 देव (पु.) (देव+हो) = देवहो (संबोधन बहुवचन) हरि (पु.) (हरि+हो) = हरिहो (संबोधन बहुवचन) गामणी (पु.) (गामणी+हो) = गामणीहो (संबोधन बहुवचन) साहु (पु.) (साहु+हो) = साहुहो (संबोधन बहुवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+हो) = सयंभूहो (संबोधन बहुवचन) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण (13) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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