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________________ कुलुग्गयहे = कुल+उग्गयहे (कुल में उत्पन्न) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। डहेवि = डह+एवि (जलाने के लिए) . नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (ख) ए, ओ से पहले अ, आ का .. लोप हो जाता है। . पाठ 6-महापुराण थियमिह = थियं+इह (यहाँ ठहरा) नियम 6- यदि पद के अन्तिम म्' के पश्चात स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। (प्राकृत-व्याकरण पृ.4) णिच्चलंगयं = णिच्चल+अंगयं (दृढ़ अंगवाला) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। जेणेयहु = जेण+इयह (जिस कारण से इसकी) नियम 2- असमान स्वर सन्धिः (क) अ+इ = ए। तेओहामियचंदविणेसहं = तेअ+ओहामिय-चंददिणेसहं (सूर्य और चन्द्रमा का - तेज तिरस्कृत) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व ___ स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। पणविज्जइ = पणव+इज्जइ (प्रणाम किया जाता है) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व - स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। डहिवि = डह+इवि (जलाकर) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर । पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। ढोयवि = ढोय+अवि (ढोकर) . .. नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व . स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद-अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004212
Book TitleApbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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