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________________ भविष्यत्काल, अन्य पुरुष एकवचन 3/1 (i) कारिहिइ आदि (ii) कारेहिइ आदि (iii) कराविहिइ आदि (iv) करावेहिइ आदि = करवायेगा/करवायेगी। _ विधि एवं आज्ञा, अन्य पुरुष एकवचन 3/1 (i) कारउ आदि (ii) कारेउ आदि (iii) करावउ आदि (iv) करावेउ आदि . . = करवावे। . इसी प्रकार उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष के रूप बनेंगे। ---------------------------------------------- __ कर्मवाच्य के प्रेरणार्थक प्रत्ययः आवि, 0 प्राकृत भाषा में प्रेरणा अर्थ में भाववाच्य और कर्मवाच्य के 'आवि' और 'शून्य' (0) प्रत्यय क्रिया में जोड़े जाते हैं। इससे अकर्मक क्रिया सकर्मक बन जाती है। जैसे(हस+आवि) = हसावि (हँसाना) (हस+0) = हास (हँसाना) (उपान्त्य' 'अ' का 'आ' हो जाता है) (कर+आवि) = करावि (कराना) । (कर+0) = कार (कराना) (उपान्त्य' 'अ' का 'आ' हो जाता है) .. क्रियाओं में प्रेरणार्थक प्रत्यय जोड़ने के पश्चात कर्मवाच्य के 'इज्ज' और 'ईअ/ईय' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेहसावि+इज्ज = हसाविज्ज (हँसाया जाना) हसावि+ईअ = हसावीअ (हँसाया जाना) हास+इज्ज = हासिज्ज (हँसाया जाना) हास+ईअ = हासीअ (हँसाया जाना) करावि+इज्ज = कराविज्ज (करवाया जाना) करावि+ईअ = करावीअ (करवाया जाना) कार+इज्ज = कारिज्ज (करवाया जाना) कार+ईअ = कारीअ (करवाया जाना) उपान्त्य अर्थात् क्रिया के अन्त का पूर्ववर्ती स्वर। 1. प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2) (56) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004205
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2013
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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