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________________ त्रयोदश उद्देशक - धातु एवं निधि बताने का प्रायश्चित्त २९३ अतः शास्त्रों में (आचारांग आदि) ऐसा विधान है कि भिक्षु ऐसे प्रसंग में मौन रहे तथा अपेक्षापूर्वक तटस्थ भाव रखे। धातु एवं निधि बताने का प्रायश्चित्त जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा धाउं पवेएइ पवेएंतं वा साइजइ॥२९॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा णिहिं पवेएइ पवेएतं वा साइजइ॥ ३०॥ कठिन शब्दार्थ - धाउं - धातु, णिहिं - निधि - खजाना। भावार्थ - २९. जो भिक्षु अन्यतीर्थिक या गृहस्थ को धातु बताता है अथवा बताते हुए का अनुमोदन करता है। ३०. जो भिक्षु अन्यतौर्थिक या गृहस्थ को खजाना बताता है अथवा बताते हुए का . अनुमोदन करता है। विवेचन - 'धा' धातु और 'तुन' प्रत्यय के योग से धातु शब्द निष्पन्न होता है। धातु शब्द के अनेक अर्थ हैं। व्याकरण में क्रिया के मूल रूप को धातु कहा जाता है। रस, रक्त, मांस, मेदा, अस्थि, मज्जा तथा शुक्र - देह के ये सात निर्मापक, संस्थापक तत्त्व भी धातु कहे जाते हैं। लोहा, ताँबा, रांगा, सीसा, चाँदी, सोना आदि खनिज पदार्थ भी धातु कहे जाते हैं। पारस पत्थर भी धातु ही माना जाता है, जिसके स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है, ऐसी पुरानी मान्यता है। यहाँ धातु शब्द से स्वर्ण, रजत आदि बहुमूल्य खनिज पदार्थों का सूचन है। भिक्षु को यदि अपने विशिष्ट ज्ञान या विद्या द्वारा यह ज्ञात हो कि अमुक स्थान में भूमि के नीचे अमुक धातु प्राप्य है तो वह गृहस्थ आदि को नहीं बताता। क्योंकि बताने पर वे उस धातु को प्राप्त करने हेतु भूमि का खनन आदि करते हैं, जिससे पृथ्वीकायिक आदि अनेक जीवों की विराधना होती है। उसी प्रकार भिक्षु को यदि जमीन में गड़े खजाने का ज्ञान हो जाए तो वह किसी को उसके संबंध में नहीं बताता, क्योंकि बताने पर वहाँ भी खजाने के लोभ में व्यक्ति खुदाई , आदि करते हैं, जो हिंसा का हेतु है। मूल बात तो यह है, जो निरन्तर आत्मोपासना, साधना एवं संयम में निरत होता है, उसे धातु, निधि आदि बताने की आवश्यकता ही क्या है ? किन्तु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
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