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________________ द्वादश उद्देशक - भौतिक आकर्षण-आसक्ति - विषयक प्रायश्चित्त वा मडंबवहाणि वा दोणमुहवहाणि वा पट्टणवहाणि वा आगरवहाणि वा संवाहवहाणि वा संणिवेसवहाणि वा चक्खुदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइज्जइ ॥ २० ॥ 1. कठिन शब्दार्थ - गामवहाणि - ग्रामवधान भावार्थ २०. जो भिक्षु गाँव, नगर, खेट, गाँव में वध या घात को (बहुवचन) । कर्बट, मडंब, द्रोणमुख, पत्तन, आकर वध आदि विनाश को नेत्रों से देखने की इच्छा से मन में निश्चय करता है अथवा ऐसा करने वाले का अनुमोदन करता है, उसे लघु चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है। (खान), संवाह, सन्निवेश इत्यादि में घात जे भिक्खू गामपहाणि वा णगरपहाणि वा खेडपहाणि वा कब्बडपहाणि वा मडंबपहाणि वा दोणमुंहपहाणि वा पट्टणपहाणि वा आगरपहाणि वा संवाहपहाणि वा सण्णिवेसपहाणि वा चक्खुदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइज्जइ ॥ २१ ॥ कठिन शब्दार्थ - पहाण - पथान् - मार्गों को । - - Jain Education International - २७१ ♦♦♦ भावार्थ २१. जो भिक्षु ग्राम, नगर, खेट, कर्बट, मडंब, द्रोणमुख, पत्तन, आकर (खान), संवाह, सन्निवेश इत्यादि के मार्गों को आँखों से देखने की इच्छा से मन में भावना करता है अथवा वैसा करते हुए का अनुमोदन करता है, उसे लघु चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है। जे भिक्खू गामदाहाणि वा जाव सण्णिवेसदाहाणि वा चक्खुदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइज्जइ ॥ २२॥ • कठिन शब्दार्थ - दाहाणि - अग्नि से जलते हुए को । : भावार्थ - २२. जो भिक्षु अग्नि में धधकते हुए ग्राम यावत् सन्निवेश को नेत्रों से देखने की मन में इच्छा या निश्चय करता है अथवा ऐसा करने वाले का अनुमोदन करता है, उसे लघु चौमासी प्रायश्चित्त आता है। जे भिक्खू आसकरणाणि वा हत्थिकरणाणि वा उट्टकरणाणि वा गोणकरणाणि वा महिसकरणाणि वा सूयरकरणाणि वा चक्खुदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइज्जइ ॥ २३॥ जे भिक्खू आसजुद्धाणि वा हत्थिजुद्धाणि वा उट्टजुद्धाणि वा गोणजुद्धाणि For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
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