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________________ दशम उद्देशक - वर्षाकाल में पात्र-वस्त्र ग्रहण करने का प्रायश्चित्त २२९ है। इससे यह अनुमेय है कि रात्रिकाल में साधु परिषद् में ही इसका श्रवण करना - कराना विहित है। _ 'पज्जोसवणाकप्प' के अध्ययन की परंपरा आज उपलब्ध नहीं है, अज्ञातकाल से विच्छिन्न है। इसे अन्यतीर्थिक या गृहस्थ को सुनाने का जो निषेध किया गया है, उसका आशय यह है कि वे आर्हत् परंपरा से सम्यक् अवगत, परिचित न होने के कारण रहस्यभूत तथ्यों को स्वायत करने में असमर्थ रहते हैं। उन द्वारा उन्हें विपरीत या अन्यथा रूप में गृहीत किया जाना भी आशंकित है। उन गहन, गम्भीर तथ्यों के साथ आत्म संस्फूर्ति-जनक सूक्ष्म चिन्तनमननमूलक भाव संपृक्त होतें। अत एव असंबद्ध, अयोग्य, अविज्ञजन उनके श्रवण के अधिकारी नहीं माने गए, क्योंकि उससे लाभ के स्थान पर अलाभ की अधिक आशंका रहती है। अतः सार्वजनीन रूप में उद्घाटित न कर योग्य, विज्ञ जनों तक सीमित रखना आवश्यक है। ___इस सूत्र में आये हुए ‘पज्जोसवेइ' पाठ का अर्थ गुरु परम्परा से 'सांवत्सरिक प्रतिक्रमण कराना' किया जाता है। - वर्षाकाल में पात्र-वस्त ग्रहण करने का प्रायश्चित्त जे भिक्खू पढमसमोसरणुहेसे पत्ताई चीवराई पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ। तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्धाइयं ॥ ४७॥ ॥णिसीहऽज्झयणे दसमो उद्देसो समत्तो॥१०॥ कठिन शब्दार्थ - पढमसमोसरणुद्देसे - प्रथम समवसरणोद्देश - चातुर्मास्य काल रूप प्रथम समवसरण के प्रारम्भ हो जाने पर, पत्ताई - प्राप्त, चीवराई - वस्त्र। भावार्थ - ४७. जो भिक्षु चातुर्मास प्रारम्भ हो जाने पर भी प्राप्त वस्त्र ग्रहण करता है या ग्रहण करते हुए का अनुमोदन करता है, उसे गुरु चौमासी प्रायश्चित्त आता है। इस प्रकार उपर्युक्त ४७ सूत्रों में किए गए किसी भी प्रायश्चित्त स्थान का तद्गत दोषों का सेवन करने वाले भिक्षु को अनुद्घातिक परिहारतप रूप गुरु चातुर्मासिक प्रायश्चित्त आता है। इस प्रकार निशीथ अध्ययन (निशीथ सूत्र) में दशम उद्देशक परिसमाप्त हुआ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
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