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________________ १०४ निशीथ सूत्र यथा - "उदउल्ल" गर्म पानी से भी गीले हाथ हो सकते हैं। नमक कभी अचित्त भी हो सकता है इत्यादि। इसी प्रकार सर्वत्र समझ लेना चाहिए। __ आचा० श्रु० २ अ० २ उ० ११ में सात पिंडैषणा में प्रथम पिंडैषणा अभिग्रह का कथन है। उस अभिग्रह को धारण करने वाला भिक्षु असंसृष्ट (अलिप्त) हाथ आदि से ही भिक्षा ग्रहण करता है, संसृष्ट हाथ आदि से नहीं। इस प्रतिज्ञा वाला भिक्षु लेप्य अलेप्य दोनों प्रकार के खाद्य पदार्थ ग्रहण कर सकता है क्योंकि केवल अलेप्य (रूक्ष) पदार्थ ग्रहण करने की 'अलेपा' नामक चौथी पिंडैषणा (प्रतिज्ञा)कही है। अतः यह असंसृष्ट का प्रायश्चित्त उपर्युक्त अपेक्षा से है, ऐसा समझना आगम सम्मत है। कुछ विशेष शब्दों के अर्थ इस प्रकार हैं - १. मट्टिया - साधारण मिट्टी - चिकनी मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी आदि जो कच्चे मकान बनाने, बर्तन मांजने - साफ करने, घड़े आदि बर्तन बनाने के काम में आती है। . 2. ऊस - साधारण भूमि पर अर्थात् ऊषर भूमि पर खार जमता है, उसे खार या .. 'पांशुखार' कहते हैं। "उषः-पांशुक्षारः"। दशवै० चूर्णि व टीका। 3. मणोसिल - मैनशिल - एक प्रकार की पीली कठोर मिट्टी।' ४. गेरुय - कठोर लाल मिट्टी। ५. वण्णिय - पीली मिट्टी - 'जेण सुवण्णं वण्णिञ्जति'। ६. सेडिय - सफेद मिट्टी - खडिया मिट्टी। ७. सोरट्ठिय - फिटकरी - "सोरट्ठिया तूवरिया जीए सुवण्णकारा उप्प करेंति सुव्वण्णस्स पिंड"। ८. उक्कुट्ठ - "सचित्त वणस्सइचुण्णो - ओक्कुट्ठो भण्णति" प्राकृत भाषा में अनेक विकल्प होते हैं, इसलिए - 'उक्कट्ठ, उक्किट्ठ-उक्कुट्ठ' तीनों ही शुद्ध हैं तथा सेढिय सेडिय दोनों शुद्ध हैं। दोनों चूर्णि में मिलते हैं। उपरोक्त सूत्रों में जो प्रायश्चित्त विधान है इनका निर्देश आचारांग श्रु० २ अ० १ उ०६ व दशवैकालिक अ० ५, उ० १ में हुआ है। दशवैकालिक सूत्र में इस विषय की दो गाथाएं हैं, जिनमें १६ प्रकार से हाथ आदि लिप्त कहे हैं। वहाँ "सोरट्ठिय" के बाद जो “पिट्ठ" शब्द है वह "सोरट्ठिय" पर्यंत कही गई सभी कठोर पृथ्वियों का विशेषण मात्र है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
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