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प्रथम प्रतिपत्ति - असंसार समापन्नक जीवाभिगम
• जीवाभिगम का स्वरूप से किं तं जीवाभिगमे?
जीवाभिगमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - संसारसमावण्णग-जीवाभिगमे य असंसारसमावण्णग-जीवाभिगमे य॥६॥ ..
भावार्थ - जीवाभिगम क्या है ?
जीवाभिगम दो प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. संसार समापन्नक जीवाभिगम और २. असंसार समापन्नक जीवाभिगम।
विवेचन - जीवाभिगम क्या है ? इस प्रश्न के उत्तर में जीव के दो भेद बता कर उसका स्वरूप कथन किया गया है। जीवाभिगम दो प्रकार का कहा गया है - १. संसार समापन्नक जीवाभिगम अर्थात् संसारवर्ती जीवों का ज्ञान और २. असंसार समापन्नक जीवाभिगम अर्थात् संसार मुक्त जीवों का ज्ञान। नैरयिक, तिर्यंच, मनुष्य और देव रूप संसार में जो भ्रमण कर रहे हैं वे संसार समापन्नक जीव हैं। ऐसे संसारी जीवों का जो अभिगम है वह संसार समापन्नक जीवाभिगम है।
"न संसारोऽसंसारः" - चतुर्गति रूप संसार से जो प्रतिपक्ष है अर्थात् मोक्ष है वह असंसार है। मोक्ष रूप असंसार को प्राप्त जीव असंसारसमापन्नक हैं और ऐसे मुक्त जीवों का ज्ञान असंसारसमापन्नक जीवाभिगम है।
अल्पवक्तव्यता होने के कारण पहले असंसारसमापन्नक जीवों का वर्णन करते हुए सूत्रकार कहते हैं -
.. असंसार समापन्नक जीवाभिगम से किं तं असंसार समावण्णग जीवाभिगमे?
असंसार समावण्णग जीवाभिगमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - अणंतरसिद्धासंसार समावण्णग जीवाभिगमे य परंपरसिद्धासंसार समावण्णग जीवाभिगमे य।
से किं तं अणंतरसिद्धासंसार समावण्णग जीवाभिगमे? - अणंतरसिद्धासंसार समावण्णग जीवाभिगमे पण्णरसविहे पण्णत्ते, तं जहा - तित्थसिद्धा जाव अणेगसिद्धा, सेत्तं अणंतरसिद्धासंसार समावण्णग जीवाभिगमे।
से किं तं परंपरसिद्धासंसार समावण्णग जीवाभिगमे? परंपरसिद्धासंसार समावण्णग जीवाभिगमे अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा -
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