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________________ २३८ श्री स्थानांग सूत्र सिद्ध महहिमवंते, हिमवंते रोहिया हरिकडे । हरिकंता हरिवासे, वेरुलिय चेव कूडा उ ॥ १ ॥ जंबूमंदर उत्तरेणं रुप्पिम्मि वासहरपव्वए अट्ठ कूडा पण्णत्ता तंजहा - सिद्धे य रुप्पी रम्मग, णरकंता बुद्धि रुप्पकडे य । हिरण्णवए मणिकंचणे य, रुप्पिम्मि कूडा उ ॥ २ ॥ जंबूमंदर पुरच्छिमेणं रुयगवरे पव्वए अट्ठ कूडा पण्णत्ता तंजहा - रिटे तवणिज कंचण, रयय दिसासोत्थिए पलंबे य । अंजणे अंजणपुलए, रुयगस्स पुरच्छिमे कूडा ॥ ३ ॥. .. तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारि महत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवम ठिइयाओ परिवसंति तंजहा - णंदुत्तरा य णंदा, आणंदा णंदिवद्धणा । विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया ॥ ४ ॥ जंबूमंदर दाहिणेणं रुयगवरे पव्वए अट्ठ कूडा पण्णत्ता तंजहा - कणए कंचणे पउमे, णलिणे ससि दिवायरे चेव । वेसमणे वेरुलिए, रुयगस्स उ दाहिणे कूड़ा ॥ ५ ॥ तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारि महत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवम ठिईयाओ परिवसंति तंजहा समाहारा सुष्पइण्णा, सुप्पबुद्धा जसोहरा। लच्छिवई सेसवई, चित्तगुत्ता वसुंधरा ॥ ६ ॥ जंबूमंदर पच्चत्थिमेणं रुयगवरे पव्वए अट्ठ कूडा पण्णत्ता तंजहा - . सोत्थिए य अमोहे य, हिमवं मंदरे तहा । रुयगे रुयगुत्तमे चंदे, अट्ठमे य सुदंसणे ॥ ७ ॥ तत्य णं अट्ठ दिसाकुमारि महत्तरियाओ महिड्डियाओ जाव पलिओवमठिईयाओ परिवसंति तंजहा - इला देवी सुरादेवी, पुढवी पउमावई । एगणासा णवमिया, सीया भहा य अट्ठमा ॥ ८ ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004187
Book TitleSthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages386
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size8 MB
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