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________________ अध्ययन २ उद्देशक २ चरकादि अभी तक ठहरे नहीं हैं, उसमें यदि निर्ग्रन्थ साधु ठहर जाते हैं, तो वह अनभिक्रान्ता कहलाती है। ५. वर्ध्या - वसति (शय्या) वह कहलाती है, जो अपने लिये गृहस्थ ने बनवाई थी, लेकिन बाद में उसे साधुओं को रहने के लिये दे दी और स्वयं ने दूसरी वसति अपने लिए बनवा ली। वह वर्ण्य होने के कारण साधु के लिये वर्ष्या-त्याज्य है। ६. महावा - जो वसति (मकान) बहुत से-श्रमणों भिक्षाचरों, ब्राह्मणों आदि को. गिन गिन कर उनके ठहरने के लिये गृहस्थ नये सिरे से आरम्भ करके बनवाता है, वह महावा कहलाती है। वह साधु साध्वी के लिये अकल्पनीय है। ___७. सावद्या - जो वसति पांचों ही प्रकार के श्रमणों (निर्ग्रन्थ, शाक्य, तापस, गैरिक, आजीविक) के लिये गृहस्थ बनाता है वह सावद्या-शय्या कहलाती है। ८. महासावद्या - जो सिर्फ जैन श्रमणों के निमित्त ही गृहस्थ द्वारा बनवाई जाती है वह महासावद्या-शय्या कहलाती है। - ९. अल्पसावध क्रिया - जो शय्या पूर्वोक्त (कालातिक्रान्तादि) दोषों से रहित गृहस्थ के द्वारा केवल अपने लिये ही, अपने ही प्रयोजन से बनवाई जाती है और उसमें विचरण करते हुए साधु-साध्वी अनायास ही ठहर जाते हैं वह अल्प सावध क्रिया कहलाती है। 'अल्प' शब्द यहाँ अभाव का वाचक है। अतएव ऐसी वसति सावधक्रिया रहित अर्थात् निर्दोष है। .' इस विषय में टीकाकार ने भी लिखा है - 'अल्पशब्दो अभाव वाचीति'। उक्त नौ प्रकार की शय्याओं में से तीसरी अभिक्रान्त नाम की शय्या तथा नववीं अल्प सावध (अभाव सावद्य) नाम की शय्या ये दो प्रकार की .शय्याएँ साधु साध्वी के उतरने योग्य हैं, कल्पनीय हैं क्योंकि ये दोनों शय्याएँ गृहस्थ ने अपने लिये बनाई है किन्तु जैन साधु साध्वी के लिये नहीं और इन दोनों प्रकार की शय्याओं को गृहस्थ ने अपने काम में भी ले ली है। . इस विषय में टीकाकार ने भी लिखा है - "एताश्च नव वसंतयो यथाक्रमं नवभिरनन्तरसूत्रैः प्रतिपादितः, आसु चाभिक्रान्ताल्पक्रिये योग्ये शेषास्त्व योग्या इति॥" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004185
Book TitleAcharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages382
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size8 MB
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