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________________ समवाय ९ Jain Education International दंड करेइ, कवाडं करेइ । अर्थात् केवली भगवान् प्रथम समय में दण्ड करते हैं दूसरे समय में कपाट करते हैं । यहाँ " करते हैं" यह क्रियापद दिया है किन्तु समुद्घात होता है ऐसा क्रियापद नहीं दिया है। केवली समुद्घात के आठ समयों में से पहले और आठवें समय में औदारिक काय योग होता है। दूसरे, छठे और सातवें समय में औदारिक मिश्र काययोग होता है। तीसरे चौथे और पांचवें समय में कार्मण काययोग होता है । नौवां समवाय ra बंभचेर गुत्तीओ पण्णत्ताओ तंजहा णो इत्थीपसुपंडग संसत्ताई सिज्जासणाई सेवित्ता भवइ । णो इत्थीणं कहं कहित्ता भवइ । णो इत्थीणं गणाई सेवित्ता भवइ | णो इत्थीणं इंदियाइं मणोहराइं मणोरमाइं आलोइत्ता णिज्झाइत्ता भवइ । णो पणीयरसभोई भवइ । णो पाणभोयणस्स अइमायाए आहारइत्ता भवइ । णो इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाइं समरइत्ता भवइ । णो सद्दाणुवाई णो रूवाणुवाई गंधावाई रसाणुवाई णो फासाणुवाई णो सिलोगाणुवाई भवइ । णो सायासोक्खपडिबद्धे यावि भवइ । णव बंभचेरअगुत्तीओ पण्णत्ताओ तंजहा इत्थीपसुपंडगसंसत्ताणं सिज्जासणाणं सेवणया जाव सायासुक्खपडिबद्धे या वि भवइ । णव बंभचेरा पण्णत्ता तंजहा सत्थपरिण्णा लोगविजओ सीयोसणिज्जं सम्मत्तं । - ३९ PIIIIIIIIIIIIII For Personal & Private Use Only आवंती धूय विमोहा (यणं) उवहाणसुयं महापरिण्णा ॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए णव रयणीओ उड्डुं उच्चत्तेणं होत्था । अभिइ क्खत्ते साइरेगे णव मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोएइ । अभिइयाइया णव णक्खत्ता चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति तंजहा - अभिइ सवणो जाव भरणी । इमीसे णं रयणप्पभा पुढवीए बहुसम रमणिज्जाओ भूमिभागाओ णव जोयणसए उड्ड अबाहाए उवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ । जंबूद्दीवे णं दीवे णव जोयणिया मच्छा पविसिंसु वा पविसंति वा पविसिस्संति वा । विजयस्स णं दारस्स एगमेगाए बाहाए णव णव भोमा पण्णत्ता । वाणमंतराणं देवाणं सभाओ सुहम्माओ णव जोयणाई उड्डुं उच्चत्तेणं - www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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