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________________ समवाय५३ २०३ के चौड़े हैं। सब मिला कर ४३ हजार योजन होते हैं। अब पूर्वोक्त ९५ हजार योजन में से ४३ हजार योजन निकाल देने पर ५२ हजारे बाकी बचते हैं। इस प्रकार गोस्थूभ आवास पर्वत और बडवामुख महापाताल कलश के बीच में ५२ हजार योजन का अन्तर है। इसी प्रकार दक्षिण में दगभास पर्वत के और केतुक महापाताल कलश के बीच में ५२ हजार योजन का अन्तर है। पश्चिम में शंख पर्वत के और यूपक नामक महापाताल कलश के बीच में तथा उत्तर में दगसीम पर्वत के और ईसर (ईश्वर) नामक महापाताल कलश के बीच में बावन बावन हजार योजन का अंन्तर है। ज्ञानावरणीय की पांच, नाम कर्म की बयालीस और अन्तराय की पांच, इस प्रकार इन तीनों कर्मों की सब मिला कर बावन उत्तर कर्म प्रकृतियाँ कही गई हैं। पहले सौधर्म देवलोक में ३२ लाख विमान हैं, तीसरे सनत्कुमार देवलोक में बारह लाख और चौथे माहेन्द्र देवलोक में आठ लाख विमान हैं, इस प्रकार इन तीन देवलोकों में सब मिला कर बावन लाख विमान कहे गये हैं ॥ ५२ ॥ विवेचन - यहाँ पर मूल में मोहनीय कर्म के ५२ नाम कहे हैं सो मोहनीय कर्म का । अर्थ क्रोध, मान, माया, लोभ लेना चाहिए। इनके नामों का सामान्य अर्थ भावार्थ में कर दिया गया है। ___महापाताल कलश और गोस्थूभ पर्वत के बीच में ५२००० योजन का अन्तर है। जिसका खुलासा भावार्थ में अच्छी तरह कर दिया गया है। तरेपनवां समवाय . देवकुरु उत्तरकुरुयाओ णं जीवाओ तेवण्णं तेवण्णं जोयणसहस्साई साइरेगाई आयामेणं पण्णत्ताओ। महाहिमवंतरुप्पीणं वासहरपव्वयाणं जीवाओ तेवण्णं तेवण्णं जोयणसहस्साई णव य एगतीसे जोयणसए छच्च एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं पण्णत्ताओ। समणस्स भगवओ महावीरस्स तेवण्णं अणगारा संवच्छर परियाया पंचसु अणुत्तरेसु महइमहालएसु महाविमाणेसु देवत्ताए उववण्णा। सम्मुच्छिम उरपरिसप्पाणं उक्कोसेणं तेवण्णं वास सहस्सा ठिई पण्णत्ता ॥५३ ॥ कठिन शब्दार्थ - महाहिमवंतरुप्पीणं वासहरपव्वयाणं - महाहिमवान् और रुक्मी वर्षधर पर्वतों की, जीवाओ - जीवाएं, संवच्छर परियाया - एक वर्ष की प्रव्रज्या (दीक्षा) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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