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________________ सप्तम् वक्षस्कार - तीर्थंकरादि संख्या क्रम जम्बुद्दीवे० जहण्णपए वा उक्कोसपए वा केवइया पंचिंदियरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जहण्णपए अट्ठावीसं उक्कोसपए दोण्णि दसुत्तरा पंचिंदियरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति । जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइया एगिंदियरयणसया सव्वग्गेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! दो दसुत्तरा एगिंदियरयणसया सव्वग्गेणं पण्णत्ता । जम्बुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइया एगिंदियरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जहण्णपए अट्ठावीसं उक्कोसेणं दोण्णि दसुत्तरा एगिंदियरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति । भावार्थ - हे भगवन्! जंबूद्वीप के अंतर्गत कम से कम तथा अधिक से अधिक समग्र रूप में कितने तीर्थंकर परिज्ञापित हुए हैं? हे गौतम! कम से कम चार तथा अधिकतम चौंतीस तीर्थंकर परिज्ञापित हुए हैं। • हे भगवन्! जंबूद्वीप के अंतर्गत न्यूनतम तथा अधिकतम कितने चक्रवर्ती कहे गए हैं? हे गौतम! न्यूनतम चार तथा अधिकतम तीस चक्रवर्ती कहे गए हैं। जितने चक्रवर्ती होते हैं, उतने ही बलदेव एवं वासुदेव होते हैं। 'हे भगवन्! जम्बूद्वीप में समग्र निधिरत्न - उत्कृष्ट निधान कितने बतलाए गए हैं? हे गौतम! समग्र निधिरत्न ३०६ बतलाए गए हैं। भगवन्! जम्बूद्वीप में कितने सौ रत्न यथाशीघ्र परिभोग्य हैं ? हे गौतम! न्यूनतम ३६ तथा अधिकतम २७० निधिरत्न यथाशीघ्र परिभोग्य हैं। हे भगवन्! जंबूद्वीप में कितने सौ पंचेन्द्रिय रत्न समग्रतया बतलाए गए हैं? . हे गौतम जम्बूद्वीप में कुल २१० पंचेन्द्रिय रत्न कहे गए हैं। हे भगवन्! जंबूद्वीप में कम से कम तथा अधिक ४७५ Jain Education International अधिक कितने सौ पंचेन्द्रिय रत्न यथा शीघ्र परिभोग में आते हैं? हे गौतम! जम्बूद्वीप में कम से कम अट्ठाईस तथा अधिकतम २१० पंचेन्द्रिय रत्न परिभोग्य हैं। . हे भगवन्! जंबूद्वीप में कुल कितने सौ एकेन्द्रिय रत्न परिज्ञापित हुए हैं ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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