SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 476
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तम् वक्षस्कार - गति क्रम भावार्थ - हे भगवन्! एक-एक चन्द्र का महाग्रह परिवार, नक्षत्र परिवार तथा तारागण परिवार कितना कोटानुकोटि है ? हे गौतम! प्रत्येक चन्द्र का परिवार ८८ महाग्रह २८ नक्षत्र तथा ६६६७५ कोटानुकोटि तारागण हैं, ऐसा आख्यात हुआ है। गति क्रम (१६८) मंदरस्स णं भंते! पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए जोइसं चारं चरइ ? गोयमा! इक्कारसहिं इक्कवीसेहिं जोयणसएहिं अबाहाए जोइसं चारं चरड़, लोगंताओ णं भंते! केवइयाए अबाहाए जोइसे पण्णत्ते ? गोयमा ! एक्कारस एक्कारसेहिं जोयणसएहिं अबाहाए जोइसे पण्णत्ते । धरणितलाओ णं भंते! ०सत्तहिं णउएहिं जोयणसएहिं जोइसे चारं चरइत्ति, एवं सूरविमाणे अट्ठहिं सएहिं, चंदविमाणे अट्ठहिं असीएहिं, उवरिल्ले तारारूवे वहिं जोयणसएहिं चारं चरइ । जोइसस्स णं भंते! हेट्ठिल्लाओ तलाओ केवइयाए अबाहाए सूरविमाणे चारं चरइ ?. गोयमा ! दसहिं जोयणेहिं अबाहाए चारं चरड़, एवं चंदविमाणे णउईए जोयणेहिं चारं चरइ, उवरिल्ले तारारूवे दसुत्तरे जोयणसए चारं चरइ, सूरविमाणाओ चंदविमाणे असीईए जोयणेहिं चारं चरड़, सूरविमाणाओ जोयणसए उवरिल्ले तारारूवे चारं चरड़, चंदविमाणाओ वीसाए जोयणेहिं उवरिल्ले णं तारारूवे चारं चरइ । भावार्थ - हे भगवन्! ज्योतिष्चक्र के देव मंदर पर्वत से कितनी दूरी पर गति करते हैं ? हे गौतम! वे ११२१ योजन की दूरी पर गति करते हैं । हे भगवन्! ज्योतिष्चक्र लोक के अंत से, अलोक से पूर्व कितने अंतर पर स्थित कहा गया है ? Jain Education International ४५६ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy